SBI: एक मई से शुरू होगी ये नई सर्विस, ग्राहकों को मिलेगा फायदा!
नई दिल्ली : पोलीसनामा ऑनलाईन – देश के सबसे बड़े बैंकों में से एक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने ग्राहकों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। आरबीआई के फैसले के बाद बैंक ने होम और ऑटो लोन पर लगने वाले ब्याज की व्यवस्था बदल दी है। जिसके बाद अब आरबीआई के रेपो रेट (ब्याज दरें) घटाने के तुरंत बाद बैंक अपनी ब्याज दरें कम कर देगा। वहीं बढ़ने पर तुरंत बढ़ जाएंगी। बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी पॉलिसी में यह नियम बदलने का फैसला लिया था।
एक मई से लागू होंगे ये नियम –
रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई ने देर शाम एक बयान में कहा कि नई दरें एक मई से प्रभावी होंगी। इस कदम से रिजर्व बैंक के नीतिगत दर (रेपो रेट) में कटौती का फायदा तत्काल प्रभाव से ग्राहकों को मिलेगा। रिजर्व बैंक, बैंकों के साथ बार-बार इस मुद्दे को उठाता रहा है कि वह जितना रिपो रेट में कटौती करता है, बैंक उतना लाभ अपने ग्राहकों को नहीं देते। जिसके बाद एसबीआई ने अपने बयान में कहा कि आरबीआई के नीतिगत दर में बदलाव त्वरित रूप से ग्राहकों को देने के मसले के हल के लिये एक मई 2019 से हमने बचत बैंक जमा तथा अल्पकालीन मियादी कर्ज के लिये ब्याज दर को रिजर्व बैंक की रेपो रेट से जोड़ने का निर्णय किया है। बैंक ने कहा कि वह एक लाख रुपये से अधिक के जमा पर ब्याज को रेपो रेट से जुड़ेगा। फिलहाल इस पर ब्याज 3.5 प्रतिशत है जो मौजूदा रेपो दर से 2.75 प्रतिशत कम है। इस मतलब साफ है कि जिस ग्राहक ग्राहक के खाते में एक लाख रुपये होंगे। उसे ही इसका फायदा मिलेगा।
क्या है आरबीआई का फैसला –
भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों के लिए विभिन्न कैटेगरी की फ्लोटिंग ब्याज दरें अब एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्ड होंगी। आरबीआई ने एमसीएलआर को एक्सटर्नल बेंचमार्क से रिप्लेस करने का प्रस्ताव किया है। आरबीआई ने डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी पॉलिसीज के अपने बयान में प्रस्ताव किया है कि 1 अप्रैल 2019 से बैंक मौजूदा इंटरनल बेंचमार्क सिस्टम जैसे प्राइम लेंडिंग रेट, बेस रेट, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की जगह एक्सटर्नल बेंचमार्क्स का इस्तेमाल करेंगे।
रेपो रेट –
जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।