गैंगस्टर विकास दुबे कांड…. साढ़े तीन महीने बाद भी पुलिस के अलावा घटना का कोई गवाह नहीं, पैनल खाली हाथ

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर विकास दुबे गत 10 जुलाई को एनकाउंटर में मारा गया था। उसकी गैंग के कई सदस्य भी मारे गए थे। विकास दुबे एनकाउंटर पर पुलिस ने जो तर्क दिए थे, उसे पर कई सवाल उठे थे। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ की जांच के लिए 22 जुलाई को एक पैनल का गठन किया, जिसमें पूर्व जज बीएस चौहान, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसके अग्रवाल और यूपी के पूर्व डीजीपी केएल शामिल हैं

दो महीने के अंदर इस पैनल को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया था। कतिपय कारणों से बाद में कोर्ट ने रिपोर्ट सौंपने की अवधि एक माह और बढ़ा दी। अभी लगभग साढ़े तीन महीने होने जा रहे हैं, विकास दुबे और उसके गुर्गों के एनकाउंटर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से गठित जस्टिस चौहान आयोग को पुलिस थियरी के खिलाफ कोई गवाही नहीं मिली है।

सूत्रों का कहना है कि अभी तक किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने अपनी गवाही में पुलिस के बयान का खंडन नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक, ‘पैनल ने प्रत्यक्षदर्शियों को सामने आकर बयान देने का काफी प्रचार किया, लेकिन इसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है। जिन लोगों ने बयान दर्ज कराया है, उसमें ज्यादातर पुलिस प्रत्यक्षदर्शी हैं जिन्होंने मुठभेड़ से पहले घटनाक्रम का विवरण दिया है।
बता दें कि पुलिस टीम पर 2 जुलाई को विकास दुबे और उसके गुर्गों ने हमला किया था, जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शहीद पुलिसकर्मियों के शवों की जांच के समय बनाए गए 15 गवाह भी शामिल हैं, जिनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मियों के परिवार से हैं।

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