Encounter Specialist : IPS अमिताभ यश ने किया गैंगस्टर विकास दुबे का काम तमाम, पुरे एनकाउंटर को किया लीड

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कानपूर : ऑनलाइन टीम – कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अब पुलिस प्रशासन और एसटीएफ अपनी कार्रवाई में जुटी हुई है। विकास दुबे का अंत करने में यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने बड़ी भूमिका निभाई है। इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले आईपीएस अधिकारी आईजी अमिताभ यश हैं, जिनकी पहचान बुंदेलखंड के बीहड़ों में डकैतों के अंत के लिए रही है। ये वही अफसर हैं, जिन्हें यूपी के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर भी जाना जाता है।

विकास दुबे के ऑपरेशन को ऐसे दिए अंजाम –
कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या के बाद फरार विकास दुबे की खोज में स्थानीय पुलिस लगी हुई थी। इसमें देर होती देख सोशल मीडिया और मीडिया में पुलिस पर काफी सवाल उठने लगे। इसी बीच उसकी खोज का जिम्मा एसटीएफ के मुखिया अमिताभ यश को दिया गया। वे तुरंत एक्शन में आए और विकास की खोज शुरू हुई। इसके तहत सबसे पहले उन्होंने हरियाणा, बिहार और एमपी की सीमाओं पर सतर्कता बरतने को कहा। घटना के हफ्तेभर बाद विकास उज्जैन में पकड़ा गया। तुरंत ही यूपी से टीम उसे लेने पहुंची। हालांकि यूपी लाते हुए पुलिस की उस गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया, जिसमें विकास था। गाड़ी पलटने के बाद दोषी ने भागने की कोशिश की और पुलिस पर हमला भी किया। तभी टीम ने आत्मरक्षा की कोशिश और उसे भागने से रोकने के लिए उसका एनकाउंटर कर दिया।

कौन हैं अमिताभ यश –
अमिताभ यश 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं। बिहार के अमिताभ 4 सितंबर 1996 को पुलिस फोर्स में नियुक्त हुए थे। इसके बाद से ही वे अपने तेज-तर्रार रवैए के लिए जाने जाने लगे। मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले अमिताभ ने पटना से पढ़ाई की और आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली में केमेस्ट्री से बीएससी ऑनर्स के बाद पढ़ाई-लिखाई में काफी प्रतिभाशाली अमिताभ को आईआईटी कानपुर में केमेस्ट्री में मास्टर्स के लिए दाखिला मिल गया। इसी के साथ वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते रहे और साल 1996 में पुलिस सेवा के लिए चुने गए।

कभी तेज-तर्रार पुलिस कप्तान के रूप में पहचान बनाने वाले अमिताभ यश लंबे वक्त तक ऐसे संवेदनशील इलाकों में तैनात रहे हैं, जिन्हें डकैतों के गढ़ के रूप में जाना जाता था। एक खास मामला काफी सुर्खियों में रहा था, वो था आतंकी ददुआ का एनकाउंटर। ददुआ उर्फ शिव कुमार चंबल के बीहड़ों में आतंक का दूसरा नाम था। साल 2007 में ददुआ को मारने का जिम्मा एसटीएफ के जरिए अमिताभ को मिला। इस पुलिस अफसर ने मुखबिरी के लिए पान की दुकान वालों तक को मोबाइल दिए। बेहद गुप्त तरीके से ऑपरेशन ददुआ को अंजाम दिया गया। वे अपनी टीम पर काफी भरोसा करते हैं और उन्हें भी भरोसे में रखते हैं। यही वजह है कि अमिताभ के अधिकतर एनकाउंटर मामले काफी गुप्त रहते हैं।

जाने क्या है यूपी एसटीएफ –
मई 1998 में यूपी पुलिस की टास्क फोर्स बनी। फोर्स का बड़ा मकसद माफिया की जानकारी लेना और फिर ऐसे गैंग पर एक्शन लेना है। डकैतों के गिरोह को खत्म करना भी इसका एक उद्देश्य है। माना जाता है कि टास्क फोर्स का गठन एक बदमाश प्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिए हुआ था। ये माफिया तब पूरी यूपी सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ था। उसपर शिकंजा कसने से फोर्स ने काम की शुरुआत की। इसी एसटीएफ में रहते हुए आईपीएस अमिताभ यश ने कई दुर्दांत अपराधियों पर शिकंजा कसा।

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