कंगना फिर मुंबई में, इस बार बहन और भतीजा भी साथ 

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मुंबई. ऑनलाइन टीम : मनाली में काफी वक्त गुजारने के बाद कंगना रनौत पूरी सुरक्षा के साथ मुंबई लौटी। उनके साथ बहन रंगोली और भतीजे पृथ्वीराज भी आए हैं। कंगना रनौत को केंद्र सरकार ने ‘वाई प्लस’ सिक्योरिटी दी है। दरअसल बीएमसी ने कंगना रनौत के दफ्तर के एक हिस्से को अवैध निर्माण बताते हुए तोड़फोड़ की कार्रवाई की थी। इस पर कंगना रनौत ने आपत्ति जताई थी और हाई कोर्ट तक का रुख किया था। मुंबई आने की धमकी दी थी, तब उन्हें यह सुरक्षा दी गई थी।

विभिन्न मामलों पर कंगना की बेबाक टिप्पणियां और जमाने भर से टकराने का उनका हौसला देखकर कुछ लोग भले इसे राजनीति से जोड़ रहे हों, लेकिन अपने अभिनय के लिए 3 राष्ट्रीय पुरस्कार और 4 फिल्म फेयर अवॉर्ड जीत चुकी बॉलीवुड की यह ‘क्वीन’ अपने करियर के शुरुआती दिनों से ही बॉलीवुड के दिग्गजों से ‘पंगा’ लेती रही हैं और उससे भी बहुत पहले वह बचपन से धारा के विपरीत बहते हुए अपना रास्ता बनाती रही हैं। 3 मार्च 1987 को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक छोटे से कस्बे भांबला में जन्मी कंगना की परवरिश एक रुढ़िवादी संयुक्त परिवार में हुई। उनकी मां आशा रनौत एक स्कूल में शिक्षिका थीं और पिता अमरदीप रनौत का अपना कारोबार था।

kangana ranaut

विद्रोही स्वभाव की कंगना को लीक से बंधना कभी रास नहीं आया। बचपन में उनके छोटे भाई को खिलौना बंदूक और उसे गुड़िया दी जाती तो वह न सिर्फ उसे लेने से इनकार कर देती थीं, बल्कि इस भेदभाव का पुरजोर विरोध भी करती थीं। उन्हें अपनी मर्जी के कपड़े पहनना और अपने हिसाब से जीना पसंद था। कंगना ने विरोध के अपने इस गुण को फिल्मी दुनिया में रहते हुए भी बचाए रखा और तमाम तरह के भेदभाव के खिलाफ खड़ी नजर आईं। फिर चाहे वह पुरुष साथी कलाकारों से कम मेहनताना मिलने का सवाल हो, मीटू का विवाद हो या फिर फिल्म नगरी में भाई-भतीजावाद का मुद्दा, कंगना ने हर बार बड़े पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी और उस पर डटी रहीं।

मुंबई विविदा को लेकर भी कंगना डटी हुईं हैं। इंतजार है तो उनके बयान का। मीडिया की पूरी नजर लगी हुई है कि इस बार वे किसे निशाने पर लेती हैं।

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