पुणे में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को नई बीमारी का खतरा

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पुणे। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के कहर ने कोहराम मचा रखा है। देश के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित शहर पुणे की भी हालत बेहद खराब है। शहर में स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा गई है। छोटे अस्पतालों ने बेड और ऑक्सीजन के अभाव में नए रोगियों को भर्ती करना बंद कर दिया है। वहीं कोरोना से ठीक हो चुके कई मरीज म्यूकोर्मोसिस से संक्रमित होने की जानकारी सामने आ रही है। यह एक तरह की दुर्लभ और गंभीर फंगल इंफेक्शन है, जिसमें यह फंगल आंख, नाक, कान, जबडा व दिमाग पर असर पड़ रहा है और इसमें मौत की गुंजाइश ज्यादा होती है।
पुणे में कोरोना से ठीक हो चुके कई मरीजों ने म्यूकोर्मोसिस से संक्रमित होने की सूचना दी है। दरअसल, म्यूकोर्मोसिसे एक तरह की दुर्लभ और गंभीर फंगल इंफेक्शन है, जिसमें यह फंगल आंख, नाक, कान, जबडा व दिमाग पर प्रहार कर रहा है और इसमें मौत की गुंजाइश ज्यादा होती है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शहर के अस्पतालों में हर महीने ऐसे 10 मामलों की रिपोर्ट हो रही है। म्यूकोर्मोसिस का इलाज करते समय मौत की गुंजाइश अधिक होती है, हालांकि इसमें सर्जरी ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। अगर सर्जरी नहीं की जाती है, तो इसके संक्रमण के मस्तिष्क में फैलने की संभावना होती है।
पुणे में कोरोना के संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा गई है। छोटे अस्पतालों ने नए रोगियों को भर्ती करना बंद कर दिया है और ये छोटे अस्पताल मरीजों के रिश्तेदारों को मल्टी-स्पेशिलिटी अस्पतालों में भर्ती कराने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि उनके पास अब जगह नहीं है। यहां कोरोना के खिलाफ लड़ाई में छोटे अस्पताल काफी अहम हैं, मगर ऑक्सीजन की कमी के कारण वे कोरोना मरीजों को बड़े मल्टीस्पेशिलिटी अस्पतालों में भेजने के लिए मजबूर हैं। पुणे के हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ संजय पाटिल ने कहा कि शुरुआती दिनों में छोटे अस्पताल ऑक्सीजन के साथ बड़े अस्पतालों को सहायता प्रदान करने में कामयाब रहे, मगर अब यह संभव नहीं है। मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों में उनके पास दो विकल्प होते हैं- या तो उनके पास खुद का ऑक्सीजन प्लांट हो या सिलेंडर होता है। यह छोटे अस्पतालों के मामले में नहीं है।
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