उप्र में उपचुनाव से पहले बसपा को झटका, सहारनपुर इकाई भाजपा में शामिल

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सहारनपुर, पुलिसनामा ऑनलाइन –  उत्तर प्रदेश में 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को बड़ा झटका देते हुए पार्टी की सहारनपुर जिला की पूरी इकाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गई है। दो बार विधायक रह चुके रविंद्र मोल्हू, वर्तमान जिला अध्यक्ष ऋषि पाल गौतम, जोनल को-ओर्डिनेटर आशीर्वाद आर्य और गंगोह विधानसभा क्षेत्र इकाई के अध्यक्ष धर्मेदर सिंह समेत कुल 24 बसपा नेता भाजपा में शामिल हुए हैं।

बुधवार शाम हुई इस घटना पर बसपा के वरिष्ठ नेताओं ने कोई बयान देने से इंकार कर दिया है।

इस पर प्रतिक्रिया पूछने पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली ने कहा, “मुझे अभी यह पता लगाना है कि ऐसा क्यों हुआ।”

सभी नेता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए।

सहारनपुर जिला की गंगोह विधानसभा सीट पर तीन सप्ताह से भी कम समय में चुनाव होने वाला है। गंगोह कैराना लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से एक है और सहारनपुर जिला में आता है। आगामी 21 अक्टूबर को जिन 11 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है, उनमें गंगोह भी है।

यहां के पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी के 2019 आम चुनाव में कैराना से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद यह विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी।

पूर्व विधायक रविंद्र मोल्हू ने कहा, “मुझे बसपा में घुटन हो रही थी। किसी को कुछ बोलने का अधिकार नहीं है और ऐसा कोई नेता नहीं जिससे पार्टी कार्यकर्ता अपने विचार बता सके।”

उन्होंने कहा, “वहीं दूसरी तरफ भाजपा में मजबूत नेतृत्व, सुसंगठित संगठन है जो देश को आगे ले जा रहा है।”

इस सीट पर उन्हें पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन पार्टी ने यहां से इरशाद चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।

एक पार्टी कार्यकर्ता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया, “चौधरी को 14 सितंबर को पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही नाराजगी बढ़ती जा रही थी। मोल्हू को टिकट मिलने की उम्मीद थी और उन्होंने इसके लिए कठोर परिश्रम किया था।”

उन्होंने कहा, “पार्टी की परंपरा के अनुसार, किसी लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी को ही टिकट दी जाती है। लेकिन मोल्हू के मामले में ऐसा नहीं हुआ, जो पिछले कई सालों से विधानसभा प्रभारी थे।”

इरशाद चौधरी 1996 में बसपा में शामिल हुए थे और 2005 से 2010 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। इसके बाद वे समाजवादी पार्टी (सपा) में चले गए और दो साल पहले बसपा में वापसी की।

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