कोरोना साबित हुआ वरदान….5 साल पहले ही बन इकोनॉमिक सुपरपावर बन जाएगा चीन

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लंदन. ऑनलाइन टीम : तमाम तोहमतों के बावजूद चीन खामोश मगर तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यहां तक कि कोरोनाकाल में जहां पूरी दुनिया की कमर टूटी हुई है, चीन तन कर खड़ा है। अब तो विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि साल 2028 में अमेरिका की सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा। पहले माना जा रहा था कि चीन 2033 तक इस मुकाम पर पहुंचेगा।

एक दौर था जब चीन के करोड़ों लोग गरीबी के दलदल में थे। चीन में 1950 का दशक मानवीय त्रासदी का सबसे बड़ा काल था। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के बूते माओ त्सेतुंग ने जो प्रयास किए वो भी कारगर साबित नहीं हुए। चीन की स्थिति तब और बिगड़ गई जब 60 के दशक में आए अकाल में लाखों लोगों की जान चली गई। बीते कुछ दशकों में चीन ने व्यापारिक रास्ते और निवेश लाने के लिए अपने बाजार की व्यवस्था में कई ऐसे सुधार किए जो चमत्कारी साबित हुए हैं। देखा जाए तो चीन को आर्थिक महाशक्ति बनाने में उसके तीन नेताओं का बड़ा योगदान रहा है, इसमें माओत्से तुंग, डांग श्याओपिंग और वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल हैं।

श्याओपिंग ने 1978 में जिस आर्थिक क्रांति की शुरुआत की थी, उसी के दम पर चीन आज आर्थिक महाशक्ति के रूप मंन उभर रहा है। वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उसे मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। चीन ने वो भी दिन देखे जब उसके पास कोई व्यापारिक सहयोगी नहीं था। 1976 में माओ की मौत के बाद डांग श्याओपिंग ने आर्थिक क्रांति की जो मुहिम छेड़ी, उसका प्रभाव अब तक है। शायद यही वजह है कि इन 40 सालों में चीन दूसरा आर्थिक महाशक्ति बनकर उभरा है और दुनिया उसके सहयोग पर आश्रित हो गई।

कोविड-19 महामारी दुनिया भर के लिए अभिशाप साबित हुआ। हज़ारों लोगों की जान चली गई। लाखों लोग बीमार पड़े हुए हैं। इन सब पर एक नए कोरोना वायरस का क़हर टूटा है और, जो लोग इस वायरस के प्रकोप से बचे हुए हैं, उनका रहन-सहन भी एकदम बदल गया है। ये वायरस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में पहली बार सामने आया था। उसके बाद से दुनिया में सब कुछ उलट-पुलट हो गया। चीन पर कई तोहमतें  लगीं। अमेरिका ने सीधे कठघरे में खड़ा किया। भारत के साथ तनातनी रही, इस बीच चीन चुपचाप अपना काम करता रहा। और एक तरह से कोविड-19 महामारी को अपने लिए वरदान में बदलने की जुगत में लगा रहा। नतीजा,  तेजी से इस संकट से बाहर निकल गया, जबकि अमेरिकी इकोनॉमी अब भी संघर्ष कर रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो कोविड-19 महामारी ने इसे चीन के पक्ष में मोड़ दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने शुरुआत में ही लॉकडाउन लगाकर महामारी से निपटने में बेहद कुशलता दिखाई, जबकि अमेरिका को अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

इसका परिणाम यह माना जा रहा है कि चीन अनुमान से 5 साल पहले ही अमेरिका से आगे निकल जाएगा। सेंटर फॉर इकनॉमिक्स एंड बिजनस रिसर्च (सीईबीआर) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ समय से अमेरिका और चीन के बीच इकनॉमिक और सॉफ्ट पावर संघर्ष चल रहा है। चीन की इकॉनमी के 2021-25 के दौरान 5.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है। उसके बाद उसकी रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ेगी। 2026 से 2030 के दौरान यह 4.5 फीसदी रह सकती है।

दूसरी ओर अमेरिका की इकोनॉमी के लंबे समय तक इससे प्रभावित रहने की आशंका है। 2022 से 2024 के बीच देश की आर्थिक रफ्तार 1.9 फीसदी रहने का अनुमान है। उसके बाद यह 1.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। जापान 2030 के दशक की शुरुआत तक डॉलर टर्म में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बना रहेगा। उसके बाद भारत उससे आगे निकल जाएगा। जर्मनी चौथे से पांचवें नंबर पर खिसक जाएगा। अभी पांचवें नंबर पर मौजूद ब्रिटेन 2024 में छठे स्थान पर खिसक जाएगा।

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