कोरोना के नए स्ट्रेन से फ्रांस हैरान…जापान, डेनमार्क, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, अफ्रीका भी परेशान     

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पेरिस. ऑनलाइन टीम : ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने के बाद भारत समेत दुनियाभर के कई देशों ने वहां से लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। फ्रांस ने भी ब्रिटेन से विमानों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन बुधवार को यह प्रतिबंध हटा लिया गया। अब उन लोगों को आने दिया जा रहा है, जो टेस्ट में निगेटिव आ रहे हैं। इसी क्रम में नए स्ट्रेन से पीड़ित व्यक्ति 19 दिसंबर को लंदन से फ्रांस पहुंचा। 21 दिसंबर को पीड़ित व्यक्ति की एक अस्पताल में जांच की गई। उसे मध्य फ्रांस के टूर्स में अपने घर पर स्वैच्छिक आइसोलेशन में रखा गया है।  स्वास्थ्य अधिकारी लंदन  से लौटे रोगी की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों के भी कॉन्टैक्ट की ट्रेसिंग कर रहे हैं, ताकि उसका प्रसार रोका जा सके। मंत्रालय ने कहा है कि अगर किसी संपर्क में आए व्यक्ति में लक्षण मिलते हैं तो उसे तुरंत आइसोलेट किया जाए। हाल ही में फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरन ने स्वीकार किया था कि यह संभव है कि देश में पहले से ही नया कोविड स्ट्रेन मौजूद हो। बहरहाल, पीड़ित व्यक्ति ठीक है।

दुनिय इस नए स्ट्रेन से खौफजदा है। जापान, डेनमार्क, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने बताया कि उनके यहां भी कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से संक्रमित मरीजों के मामले सामने आए हैं।  अफ्रीकी देश नाइजीरिया में भी कोरोना वायरस का एक नया स्ट्रेन पाया गया था। अफ्रीका के शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि कोरोना का यह नया स्ट्रेन नाइजीरिया के लोगों में पाया गया है। इस स्ट्रेन को लेकर अधिक जानकारी जुटाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम जांच कर रही है। बुधवार को ही ब्रिटेन में दक्षिण अफ्रीका से आए दो यात्रियों में कोरोना का एक नया स्ट्रेन मिला था। इस नए स्ट्रेन को ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री ने 70 फीसदी और संक्रामक बताया था।  एक प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 अगस्त और 9 अक्टूबर के बीच दक्षिणी ओसुन राज्य में लागोस के उत्तर में 100 मील की दूरी पर एकत्र किए गए दो रोगियों के नमूनों में कोरोना वायरस का यह नाइजीरियाई वैरियंट पाया गया था। कोरोना वायरस के इस वैरियंट को P681H नाम दिया गया है।

किसी वायरस का अपना रूप बदलना बेहद सामान्य है। आबादी में जैसे-जैसे वायरस फैलता है, वह अपना रूप बदलता जाता है। फर्क इतना होता है कि कुछ ज्यादा तेजी से बदलते हैं, कुछ धीमे। दरअसल, वायरस के जेनेटिक कोड में बदलाव से एक नया रूप तैयार होता है। ज्यादा चिंता की बात तब होती है जब वायरस अपनी सतह के प्रोटीन्स में बदलाव करके म्यूटेट होता है। नए स्ट्रेन्स में यही हुआ है। इसका नतीजा ये होता है कि वायरस इम्युन सिस्टम या दवाओं से बच जाता है। जिन्हें पहले कोविड हो चुका है, उन्हें इस नए स्ट्रेन से इन्फेक्शन की बेहद कम संभावना जताई गई है। नया वैरियंट SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन में कई सारे म्यूटेशंस का नतीजा है। इनमें से एक म्यूटेशन को N501Y नाम दिया गया है, यह स्पाइक प्रोटीन के उस एरिया में मिला है जो इंसानी कोशिका के एक प्रमुख प्रोटीन ACE2 रिसेप्टर से जुड़ता है।

इस नए स्ट्रेन का पहला केस 16 दिसंबर को मिला था। यूके के हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार, स्पाइक प्रोटीन के अभी करीब 4,000 म्यूटेशंस मौजूद हैं। कोविड-19 वायरस के कई स्ट्रेन सामने आ चुके हैं, जिनमें से कुछ ज्यादा बड़े इलाके में फैले, कुछ छोटे भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित रहे। अभी तक इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। मेडिकल एक्सपर्ट्स बस इतना कह रहे हैं कि ये 70% ज्यादा संक्रामक है। अभी तक इस स्ट्रेन के मामलों में लक्षण सामान्य कोविड जैसे ही रहे हैं। यह भी क्लियर नहीं है कि ये नए वैरियंट किस हद तक बीमार करते हैं। इसका इन्फेक्शन रेट ज्यादा है।

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