हाथरस प्रकरण : जिस खेत में हुई थी वारदात, उसके मालिक की गुहार-मुआवजा दें, अन्यथा भूखे मर जाएंगे हम

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हाथरस. ऑनलाइन टीम – हाथरस केस का घमासान अभी थमा नहीं कि एक और उलझन सामने आ गई। जिस खेत में वारदात को अंजाम दिया गया था, अब उस जमीन के मालिक ने मुआवजे की मांग की है। जमीन मालिक का कहना है कि उसके खेत से होने वाली आमदनी से पांच लोगों का परिवार खाता था। घटना के बाद से मेरे खेते को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। इसकी वजह से वह खेत में लगी फसल का सिंचाई नहीं कर पाया। इससे फसल का उपज प्रभावित हुआ है।

वहीं, अब सबूत मिटे नहीं, इसके लिए फसल को काटने भी नहीं दिया गया। पुलिस का कहना है कि यदि खेत में सिंचाई और फसल की कटाई की गई तो सारे सबूत मिट जाएंगे। ऐसे में उसका 9 बीघे का फसल बर्बाद हो गया है। ऐसे में उसकी फसल बर्बाद हो गई। अधिकारियों ने कहा था फसल के नुकसान की भरपाई के लिए 50000 रुपये दिए जाएंगे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं दिया गया है। किसान ने कहा कि यदि हमे समय पर मुआवजा नहीं मिला तो आर्थिक तंगी सामने आ जाएगी। पेट भरना मुश्किल हो जाएगा। भूखे मरने की नौबत आ गई है। किसान का कहना है कि उसके ऊपर 1.6 लाख रुपये का कर्ज भी है।

जानकारी के मुताबिक, जमीन मालिक पहले जयपुर में रहकर खेती करता था। लेकिन वह पिछले कुछ महीनों से गांव में आकर खेती कर रहा था। उसने कहा कि उसके पास 9 बीघा जमीन है। उसमें बाजरा बोया था, लेकिन घटना के बाद से पुलिस- प्रशासन ने खेतों में जाने से मना कर दिया। हाथरस के एसपी विनीत जायसवाल ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सबूत नष्ट करने के मद्देनजर किसान ने अपने खेत की कटाई नहीं की। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अपराध स्थल में कोई भी बदलाव सबूतों से छेड़खानी की श्रेणी में आता है।

बहरहाल, ऊंची ठाकुर जाति के मर्दों द्वारा कथित रूप से एक दलित महिला के साथ बलात्कार और उसके बाद की जांच को लेकर जातिवादी वर्चस्व के आरोपों को देखते इस बात पर भी संदेह खड़ा होता है कि सरकार वास्तव में दलित और ओबीसी समुदायों के सामाजिक विकास के बारे में सोचती है भी या नहीं, हालांकि भाजपा एक वोट बैंक के रूप में इनको लुभाने का प्रयास करती रही है। पिछले कुछ दिनों से सीबीआई गांव में कैंप कर रही है। सीबीआई पीड़ित परिवार के साथ-साथ आरोपियों से भी पूछताछ कर रही है। सच अभी पर्दे के पीछे है।

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