आईसीएमआर ने दी चेतावनी और कोरोना से मौत होने पर शवों के लिए बनाए ‘यह’ नए नियम

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन  – भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारत में कोविड-19 मौतों में चिकित्सा-विधान के लिए मानक दिशा-निर्देशों में यह जानकारी देने के साथ ही कहा गया है कि कोविड-19 से मरने वाले लोगों में फॉरेंसिक पोस्टमार्टम के लिए चीर-फाड़ करने वाली तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे मुर्दाघर के कर्मचारियों के अत्यधिक एहतियात बरतने के बावजूद शरीर में मौजूद द्रव तथा किसी तरह के स्राव के संपर्क में आने से इस जानलेवा रोग की चपेट में आने का खतरा हो सकता है।

दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस के कारण अस्पताल तथा चिकित्सा निगरानी के तहत मौत का कोई भी मामला गैर-एमएलसी है और इसमें पोस्टमार्टम करने की आवश्यकता नहीं होती और मौत का प्रमाणपत्र इलाज कर रहे डॉक्टर देंगे। शव के पास 2 से अधिक रिश्तेदार नहीं होने चाहिए और उन्हें शव से कम से कम 1 मीटर की दूरी बरतनी चाहिए। प्लास्टिक बैग को बिना खोले शव की पहचान की जाए और अधिकारियों की मौजूदगी में यह किया जाए। कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों की मौजूदगी में शव को शवदाहगृह ले जाया जाए, जहां मृतक के 5 से अधिक रिश्तेदार एकत्रित न हों। यही नहीं, शव को मुर्दाघर ले जाते समय कर्मचारी पूरी तरह से निजी रक्षात्मक उपकरण (पीपीई) पहनें। अगर शव को दफनाया जाना है तो ऊपरी सतह पर सीमेंट का लेप होना चाहिए। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जितना संभव हो शव का इलेक्ट्रिक तरीके से अंतिम संस्कार करना चाहिए। ऐसे धार्मिक रीति-रिवाजों से बचना चाहिए, जिसमें शव को छूना पड़ता है।

कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के जो शव अस्पताल लाए जाते हैं, उन्हें डॉक्टर आपात स्थिति में चिकित्सा-विधान मामले के तौर पर देख सकते हैं और उसे मुर्दाघर भेजा जाएगा तथा पुलिस को सूचित किया जाएगा, जो मौत की वजह जानने के लिए चिकित्सा-विधान पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू कर सकती है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि इन मामलों में फॉरेंसिक पोस्टमार्टम की छूट दी जा सकती है।

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