Pune Politics News | पुणे में भाजपा की तैयारी लेकिन एकनाथ शिंदे की शिवसेना को ‘झटका’

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पुणे : पुलिसनामा ऑनलाइन – Pune Politics News | भाजपा सभी लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की तैयारी कर रही है. लेकिन उसके मित्र दल शिवसेना (शिंदे गट) को झटका लगा है. विशेष बात यह है कि इस निर्णय से 2019 में गठबंधन होने के बावजूद संयुक्त शिवसेना को शहर में एक भी सीट नहीं देने वाली भाजपा ने फिर से आठों सीट पर हार जाती है तो शिंदे गुट को बैठकर हाथ मलना होगा. जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना को महाविकास आघाडी निकाले जाने से कोथरूड की सीट मिलने की संभावना बढ़ गई है.( Pune Politics News)

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में दिल्ली में मुलाकात करने के बाद शिवसेना आगामी चुनाव भाजपा गठबंधन में लड़ने की घोषणा की है. शिवसेना के इतिहास में पहली बार ‘मातोश्री’ की बजाए ‘दिल्ली’ भाजपा दरबार गठबंधन पर मुहर लग गई है. यह आम शिवसेना के मतदाताओं को पचा नहीं. ऐसे में भाजपा ने राज्य के सभी लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में वर्षभर पहले तैयारी शुरू किए जाने से शिंदे गुट के साथ गए इच्छुकों के पेट में दर्द होने लगा है.

अब तक केंद्र की तरफ से आने वाले नेताओं को सभी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में संगठन के लिए बैठक कर चुनाव की योजना बनाई है. अब राज्य भाजपा ने प्रत्येक विधानसभा और लोकसभा चुनाव की कमान स्थानीय नेतृत्व के हाथों में सौंप दी है. यह कमान सौंपते हुए पार्टी के इच्छुकों को भी वितरण के वक्त दबाया तो भी ऐतराज नहीं करने की नसीहत देकर सूक्ष्म प्लानिंग करना इस नियुक्ति से प्रथमदृष्टया दिख रहा है.( Pune Politics News)

 

इस मामले में भाजपा ने शिंदे की शिवसेना को भी अपने अधीन रखकर 2014
की तरह जिले के सभी सीटों पर लड़ने की नौबत आई तो भाजपा तैयार है.
इसकी झलक इस चुनाव से नजर आई है. जिले के हडपसर, खडकवासला,
जुन्नर, आंबेगांव और पुरंदर में शिवसेना के टूटने पर दिगग्ज नेता शिंदे गुट के साथ गए है.
साथ ही शिरूर के पूर्व सांसद भी शिंदे गुट में गए है.

 

पुरंदर में बाबाराजे जाधवराव को कमान सौंपकर उनके कट्टर विरोधी शिंदे गुट के पूर्व मंत्री विजय शिवतारे को भी झटका दिया गया है.
जाधवराव के पिता दादा जाधवराव जनता दल से निरंतर चुनकर आए है. वे मंत्री भी थे. लेकिन बाबाराजे पहले मनसे और बाद में भाजपा में गए. जबकि हाल ही में राष्ट्रवादी के पूर्व विधायक अशोक टेकवडे भाजपा के हो गए. इस वजह से समग्रता की राजनीति करते हुए भाजपा ने शिवतारे को किनारे कर शिवतारे की राजनीतिक गाड़ी रोकने की भाजपा की तैयारी नजर आ रही है.( Pune Politics News)

शिंदे के बाहर जाने के बाद महापालिका में शिवसेना के नगरसेवक नाना भानगिरे उनके साथ गए.
उन्हें शहर प्रमुख बनाया है. पहले भी शिवसेना से टूटकर मनसे से हडपसर निर्वाचन क्षेत्र
से नसीब आजमाने वाले भानगिरे के हारने के बाद फिर से सेना में चले गए थे.
लेकिन यह निर्वाचन क्षेत्र भाजपा के पास होने के कारण उन्हें 2019 में हडपसर से मौका नहीं मिला.

शिंदे गुट में जाने के बाद 2009 के सीट वितरण के अनुसार फिर से यह निर्वाचन क्षेत्र
शिवसेना से मांगने के भरोसे में उन्होंने हडपसर निर्वाचन क्षेत्र में तैयारी शुरू की है.
इतना ही नहीं बल्कि संगठन को बढ़ाने के लिए उन्होंने राष्ट्रवादी के कुछ पदाधिकारियों
को अपनी तरफ खींचने का प्रयास शुरू किया. कुछ मामलों में यह देखने को मिला है.
इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के पूर्व विधायक योगेश टिलेकर को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
ऐसे में निर्वाचन क्षेत्र बदलने के बावजूद नाना भानगिरे कट्टर शिंदे समर्थक के
विधान मंडल जाने की संभावना मिट्टी में मिलने की आशंका है.

 

इससे सटे खडकवासला निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवारी के लिए रमेश कोंडे ने शिंदे गुट प्रवेश किया है.
परंतु लगातार तीन बार इस निर्वाचन क्षेत्र में बाजी मारने के लिए भाजपा के सचिन मोरे
को निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
साथ ही लोकसभा का विचार करते हुए राहुल कुल को तैयारी में लगाया गया है.
बारामती लोकसभा सीट पर कब्जा करने के लिए खुद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
भाजप ने खडकवासला सीट किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ने के निर्णय के तहत नई नियुक्ति पर मुहर लगा दी है.

 

खास बात यह है कि हडपसर और खडकवासला निर्वाचन क्षेत्र के अधिकांश भाग पुणे महापालिका की सीमा में है.
पुरंदर के कुछ हजार मतदाता महापालिका की सीमा में है. लोकसभा और
विधानसभा चुनाव के साथ महापालिका चुनाव की दृष्टि से नियुक्त किए गए किसी भी
चुनाव की सीट के वितरण के वक्त शिंदे गुट
को बैक फुट पर जाना होगा. इस तरह की परिस्थिति पैदा की जा रही है.

 

इसके विपरीत 2014 में भाजप से अलग होकर लड़ने वाली शिवसेना ने शहर के आठों सीटों पर उम्मीदवार उतारा था.
सभी सीटों पर भाजपा की जीत हुई. जबकि इससे सटे पुरंदर से विजय शिवतारे एकमात्र विधायक चुनकर आए.
लेकिन शिवतारे ने राज्य मंत्री होते हुए भी 2019 के चुनाव में शिवसेना – भाजप गठबंधन होने के बाद हार स्वीकार करना पड़ा.

2014 में पुणे के आठों निर्वाचन क्षेत्र को मिलाकर शिवसेना को वोट दूसरे नंबर पर रहा था.
लेकिन चुनाव के बाद गठबंधन के कारण 2019 की सीट वितरण में भाजपा ने आठों सीटों
पर दावा कर उन्हें नीचे दबा दिया. शिवसेना को कोथरूड ,
हडपसर जैसे गढ़ में उम्मीदवार नहीं उतारा.

लेकिन पिछले वर्ष शिवसेना की सरकार गिरने के बाद शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट महाविकास आघाडी में कोथरूड,
शिवाजीनगर, खडकवासला इन निर्वाचन क्षेत्रों पर फिर से दावा कर सकती है, ऐसी स्थिति है.
इस वजह से उद्धव ठाकरे समर्थक शिवसेना को शहर से फिर
से उतरने की चाह भाजपा की तैयारी से नजर आ रही है.

 

Web Title :  Pune Politics News | BJP’s preparation in Pune is a ‘blow’ to Eknath Shinde’s Shiv Sena

 

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