पुलिस अधिकारियों के तबादले पर महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल का बड़ा बयान, कहा – ‘डिपार्टमेन्टल ट्रान्सफर हो पारदर्शी’

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मुंबई, 29 मई : पुलिस विभाग के कर्मचारियों के ट्रांसफर में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।  पुणे पुलिस में इंटरनल ट्रांसफर के लिए जनरल ट्रांसफर पुलिस मैनेजमेंट सिस्टम (जीटीपीएमएस ) सिस्टम बनाया गया है।  इसका फायदा पुलिस विभाग को होगा। अन्य जगहों में भी इस सिस्टम को फॉलो किया जा रहा है।  ऐसे में ट्रांसफर में मनमानी को नियंत्रण में लाने में मदद मिलेगी।   यह राय राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे-पाटिल ने व्यक्त की है।

गृह मंत्री का पदभार संभालने के बाद शुक्रवार को पहली बार उन्होंने पुणे पुलिस आयुक्तालय का दौरा किया और कामकाज की समीक्षा की।  इस दौरान पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता, जॉइंट पुलिस कमिश्नर डॉ. रवींद्र शिसवे, अपर पुलिस कमिश्नर अशोक मोराले, जालिंदर सुपेकर, डीसीपी स्वप्ना गोर और मीतेश घट्टे उपस्थित थे।
वलसे-पाटिल ने कहा कि गृह मंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद कानून और व्यवस्था को लेकर अधिकारियों के साथ बात हो  रही थी।  लेकिन प्रत्यक्ष रूप से आयुक्तालय का दौरा कर पुणे शहर की कानून व्यवस्था की समीक्षा की है।  इनमें भरोसा सेल, जेष्ठ नागरिक कक्ष, बालक कक्ष के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने के बाद पुणे पुलिस का कामकाज अच्छा नज़र आ रहा है।  इसलिए पुलिस के कामकाज से नागरिक संतुष्ट है।
जालना के युवक की पुलिस दवारा की गई पिटाई की घटना 9 अप्रैल को घटने की बात साफ हो गई है।  संबंधित युवक ने हॉस्पिटल के आईसीयू में हंगामा किया था।  इसलिए पुलिस ने उसके खिलाफ कार्रवाई की।  युवक की ज्यादा पिटाई नहीं की गई।  जालना पुलिस सुप्रीटेंडेंट उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम है।
चंद्रकांत पाटिल के इस बयान पर निशाना साधा 
राज्य में मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिलने पर सड़क पर उतरने की बात करने वाले भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के बयान पर गृहमंत्री दिलीप वलसे-पाटिल ने कहा कि फ़िलहाल कोरोना की वजह से पुलिस व स्वास्थ्य व्यवस्था पर काफी दबाव है। इसलिए कोई भी भड़काने वाला बयान नहीं दे।  लोगों के मन में नाराजगी पैदा नहीं करे।
आरक्षण के लिए समय के अनुसार संविधान में बदलाव करना होगा 
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी समाज को पिछड़ा वर्ग मानना है तो केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना करने की जरुरत है।  लेकिन इसमें बदलाव दिल्ली को करना होगा।  समय के अनुसार संविधान में बदलाव कर मराठा समाज की मांग को सुरक्षा देना होगा।
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