हो सकती बड़ी चूक…बुखार को ही कोरोना का लक्षण मान कर नहीं चलें, उससे खतरनाक तो ‘यह’ है

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नई दिल्ली : ऑनलाइन टीम – एम्स में भर्ती उत्तर भारत के 144 कोरोना मरीजों पर किए गए इस अध्ययन में चौकानेवाला खुलासा हुआ है। अध्ययन के आधार पर कहा जा रहा है कि बुखार को प्रमुख लक्षण मानकर सिर्फ इसी पर सबसे ज्यादा ध्यान देने से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के बारे में पता लगाने में बड़ी चूक हो सकती है। दरअसल, कोरोना संक्रमण के पहले लक्षण के तौर पर बुखार को मापा जा रहा है। व्यक्ति के शरीर का टेम्प्रेचर नॉरमल आने पर मान लिया जाता है कि उसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं हैं, लेकिन हाल के एक शोध में ये साबित हो चुका है कि बुखार ही कोविड 19 पॉजिटिव होने का प्रमुख लक्षण नहीं है, इसलिए अगर इस पर ही ध्यान दिया गया तो मामलों का पता लगाने में बड़ी चूक होगी

एसिम्पटमैटिक बहुत खतरनाक : एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के प्रतिनिधित्व में 29 शोधकर्ताओं द्वारा ये अध्ययन किया गया। इस अध्ययन को ‘क्लीनिको-डेमोग्राफिक प्रोफाइल एंड हॉस्पिटल आउटकम ऑफ कोविड-19 पेशेंट एडमिटेड एट ए टर्शरी केयर सेंटर इन नार्थ इंडिया’ नाम दिया गया है। अध्ययन में शामिल इन 144 मरीजों में से केवल 17 फीसदी मरीजों को बुखार आया, जो कि दुनियाभर की अन्य रिपोर्ट की तुलना में काफी कम है। हालांकि 44 फीसदी लोगों को शुरू में बुखार आया, जबकि अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान 88 फीसदी बुखार से पीड़ित हुए। शोध में यह भी सामने आया कि करीब 44 फीसदी, भर्ती होने के समय एसिम्पटमैटिक थे और ‘अस्पताल में इलाज कराने के दौरान पूरे समय उनकी स्थिति ऐसी ही रही। इस शोध में ये भी चेतावनी दी गई कि ये एसिम्पटमैटिक मरीज सामुदायिक स्तर पर वायरस के वाहक हो सकते हैं।

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