भूगोल’ सुधारेगा भारत…पाकिस्तान को खरी-खरी, गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके को तुरंत खाली करो

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – पाकिस्तान ने आजादी के समय जम्मू कश्मीर रियासत के हिस्से रहे और अब लद्दाख के अपने कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत बनाने का ऐलान किया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान के इस दुस्साहस पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान भारत के इस हिस्से पर अवैध कब्जे को फौरन छोड़े। गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके को तुरंत खाली करे। दरअसल, पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान का बड़ा हिस्सा चीन को दे रखा है और पाक-चीन आर्थिक गलियारे का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है और असली साजिशकर्ता चीन ही है।

पूरी कहानी जानने के लिए हमें आजादी के दौर में जाना होगा। गिलगित-बाल्टिस्तान 1947 तक वजूद में रही जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा रहा था, इसलिए भारत इसे पाकिस्तान के साथ क्षेत्रीय विवाद का हिस्सा मानता है। कई वर्षों से पाकिस्तान इसे अपना राज्य बनाने की साजिश रचता आ रहा है। 1935 में ब्रिटेन ने इस हिस्से को गिलगित एजेंसी को 60 वर्ष के लिए लीज पर दिया था, लेकिन अंग्रेजों ने इस लीज को एक अगस्त 1947 को रद्द करके यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया था। राजा हरि सिंह ने पाकिस्तानी आक्रमण के बाद 31 अक्तूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर दिया। हालांकि पाकिस्तान ने इस फैसले का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विरोध किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद उसने भी इस फैसले पर हस्ताक्षर कर दिए।

गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने विद्रोह कर दिया और जम्मू-कश्मीर से गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान भी कर दिया। तब पाकिस्तान ने आक्रमण कर गिलगित-बाल्टिस्तान पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। भारत से युद्ध विराम के बाद पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में एक मुखौटा सरकार का गठन किया, जिसका नियंत्रण पूरी तरह से पाकिस्तान के हाथ में था। 28 अप्रैल, 1949 को पीओके की मुखौटा सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के सुपुर्द कर दिया। बिना मेहनत के इस समृद्ध इलाके को हासिल कर लेने के बाद पाकिस्तान ने अपने राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक मकसद को आगे बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार के रूप में करने का फैसला किया। उसने इस क्षेत्र का नाम ही छीन लिया। पाकिस्तान ने इसे राजनीतिक दर्जा देने से भी इंकार कर दिया, जिसका एक मात्र मकसद इलाके के वोटों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए इस्तेमाल करना था।

बहुत कम आबादी वाले इस दूरदराज के इलाके के पास रक्तहीन आक्रमण से निपटने के लिए कोई साधन नहीं था और मजबूरन यह पाकिस्तान का उपनिवेश जैसा बन गया। वक्त बीतता गया, पाकिस्तान की सरकारें बदलती रहीं, राजनीतिक समीकरण बदलते रहे। कभी लोकतंत्र को तानाशाही ने हड़पा तो कभी तानाशाही को पराजित कर लोकतंत्र आया। अब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित-बाल्टिस्तान में आम चुनावों का आदेश दिया है जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए पाकिस्तान से गिलगित-बाल्टिस्तान खाली करने को कहा है। भारत ने कह दिया है कि पीओके समेत गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है, इसलिए पाकिस्तान को वहां स्थिति में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।

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