संयोग नहीं, सहयोग…भारत में किसान जिंदाबाद, तो ब्रिटेन में खालिस्तान के नारे 

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में किसान उग्र हैं और इनके समर्थन में ब्रिटेन में खालिस्तानी झंडे  लहराए जा रहे हैं। लोग झंडा लेकर भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेट मोंटी पनेसर ने एक वीडियो ट्वीट किया है। इसी वीडियो में कुछ लोग खालिस्तान का झंडा लिए प्रदर्शन करते दिख रहे हैं। जो ऑडियो और वीडियो सामने आए हैं, उनमें इंदिरा गांधी को लेकर साफ नारे लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि जब इंदिरा के साथ ये कर दिया तो मोदी क्या चीज है।’  पनेसर ने इस वीडियो में कहा है कि इंग्लैंड के लोग किसानों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनके वीडियो में खालिस्तीनी झंडा शक पैदा करने वाला है।

इसके पहले भी किसान आंदोलन के दौरान खालिस्तानी एंगल की बात कई बार सामने आ चुकी है। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर  ने तो खुफिया इनपुट का हवाला देते हुए इस आंदोलन में खालिस्तानियों के शामिल होने तक की बात की थी। कुछ दिन पहले पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह  ने भी गृह मंत्री अमित शाह  से मिलकर कहा था कि इस आंदोलन के जल्द समाधान की जरूरत हैं नहीं तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है।

इस क्रम में यहां यह जानना उचित होगा कि आखिर खालिस्तानी हैं कौन और क्या चहते हैं। दरअसल, जब 1947 में अंग्रेज भारत को दो देशों में बांटने की योजना बना रहे थे, तभी कुछ सिख नेताओं ने अपने लिए अलग देश खालिस्तान की मांग की। देश में विभिन्न चरणों के बीच, देखा जाए तो 1970 के दशक में खालिस्तान को लेकर कई चीजें हुईं।

1971 में गजीत सिंह चौहान ने अमेरिका जाकर वहां के अखबार में खालिस्तान राष्ट्र के तौर पर एक पेज का विज्ञापन प्रकाशित कराया और इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए चंदा मांगा। बाद में 1980 में उसने खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद बनाई और उसका मुखिया बन गया। लंदन में उसने खालिस्तान का देश का डाकटिकट भी जारी किया। इससे पहले 1978 में जगजीत सिंह चौहान ने अकालियों के साथ मिलकर आनंदपुर साहिब के नाम संकल्प पत्र जारी किया, जो अलग खालिस्तान देश को लेकर था। 80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन पूरे उभार पर था।

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