कोरोना वैक्सीन का कनेक्शन आपके मोबाइल से जुड़ सकता है, मोदी ने दिए संकेत

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : कोरोना वायरस से निपटने के लिए सभी देश खास रणनीति अपना रहे हैं। भारत भी पीछे नहीं। अपनेदेश में भी कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के कई चरण पूरे हो चुके हैं। अब वैक्सीनेशन की तैयारी है। मगर इतने बड़े देश में वैक्सीनेशन किस तरह किया जाएगा, इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है। हालांकि माना जा रहा कि कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण अभियान को ऐप के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा। भारत सरकार ने कोविड वैक्सीन रोलआउट के लिए एक खास ऐप तैयार किया है। इसे Covin नाम दिया गया है। यह ऐप कोविड टीकाकरण अभियान में बेहद अहम भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी- 2020) के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया। मोदी ने पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल सेवा या 5जी मोबाइल नेटवर्क को जल्द से जल्द से शुरू करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे ‘मल्टी-जीबीपीएस पीक डेटा स्पीड’उपलब्ध हो सकेगी। इस दौरान मोबाइल टेक्नॉलजी को जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पारदर्शिता और कोरोना महामारी के दौरान रोजमर्रा के काम करने में काफी मदद मिली है। आगे भी इसकी मदद ली जाएगी। इससे संकेत मिल रहे हैं कि शायद टीकाकरण में भी मोबाइल की ही सहायता ली जाएगी।

जानकारों का मानना है कि मोबाइल के ही जरिए सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने वाली है। इससे वैक्सीन के स्टॉक, डिस्ट्रीब्यूशन, स्टोरेज जैसी अहम जानकारियां मिलेंगी। वहीं, वैक्सीन पाने वालों को टीका कब लगेगा, इसका शेड्यूल भी ऐप से मिल पाएगा। कोविन ऐप (Covin app) के जरिए अधिकारी रियल टाइम बेसिस पर डेटा अपलोड और एक्सेस कर पाएंगे। ऐप का डेटा केंद्र और राज्यों की एजेंसियों से अपडेट होगा इसके अलावा ऐप के जरिए देशभर में फैले 28,000 स्टोरेज सेंटर्स पर मौजूद स्टॉक का पता भी लग सकता है।

कोविन ऐप के जरिए लोग अपने टीकाकरण का शेड्यूल, लोकेशन और यहां तक कि टीका कौन लगाएगा, इसकी डीटेल्स भी चेक कर पाएंगे। एक बार वैक्सीन की दोनों डोज लग गईं तो ऐप में एक टीकाकरण सर्टिफिकेट भी जेनरेट होगा। इसे डिजिलॉकर में भी सेव किया जा सकेगा। ऐप में चारों प्रॉयरिटी ग्रुप्स- हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग मौजूद हैं। जिला स्तर पर इसमें सरकारी और निजी अस्पतालों में काम करने वालों का डेटा फीड किया जाएगा। उन्हें ही अप्रूवल के बाद सबसे पहले वैक्सीन की डोज दी जानी है।

केंद्र सरकार सीधे वैक्सीन निर्माताओं से डोज खरीदेगी। राज्यों और जिलों में मौजूद नेटवर्क की मदद से पहले प्राथमिकता समूहों को टीका लगेगा। राज्य सरकारें उन इमारतों की पहचान कर रही हैं जिन्हें वैक्सीनेशन बूथ की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें सिर्फ हेल्थकेयर फैसिलिटीज ही शामिल नहीं होंगी। स्कूलों, पंचायती इमारतों और आंगनबाड़ी केंद्र की बिल्डिंग का इस्तेमाल की कोविड टीकाकरण के लिए हो सकता है।

टीकाकरण की लिस्ट में शामिल कर व्यक्ति को उसके आधार से लिंक किया जाएगा ताकि डुप्लीकेसी की संभावना न रहे। इससे यह भी ट्रैक किया जा सकेगा कि किसको टीका लग चुका है और किसे नहीं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के अनुसार, जुलाई 2021 तक प्राथमिकता के आधार पर 25-30 करोड़ भारतीयों को टीका लग सकता है।

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