रावत ने कहा- कोरोना प्राणी है और उसे भी जीने का अधिकार है, इस ‘बुद्धिमानी’ पर लोग हैरान 

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​ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत  का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में त्रिवेंद्र रावत कह रहे हैं कि वायरस भी एक प्राणी है और हम भी। हर प्राणी जीना चाहता है। कोरोना परजीवी प्राणी है, और उसे भी जीने का अधिकार है। हम उसके पीछे लगे हैं। उसका खात्मा कर जश्न मनाना चाहते हैं, पर सोचें कोरोना के बारे में। वो बचना चाहता है,  इसके कारण ही रूप बदल रहा है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के म्यूटेशन से पूरी दुनिया परेशान है। हर मारक क्षमता के ‘उपाय’ का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन वह चकमा दे रहा है। लाखों लोगों की वह जान ले चुका है, लेकिन रावत को लोगों की जान से ज्यादा कोरोना की फिक्र है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर विपक्षी दल कांग्रेस ने निशाना साधा है। उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि रावत, जो राज्य के सीएम थे, उनका ये बयान मूर्खता और बकवास के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने अपना आपा खो दिया है और उनके पास कोई दूरदृष्टि नहीं है, जिसके कारण उनकी पार्टी में ऐसी गति हुई है। आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रवक्ता अमरजीत सिंह राणा ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की टिप्पणी उनकी बुद्धिमत्ता को दिखाती है। यह उनकी और बीजेपी नेताओं की समझदारी को दर्शाता है। वे उत्तराखंड को हंसी का पात्र बना रहे हैं।

हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐसा बयान दिया हो। इससे पहले बीते साल मार्च में रावत ने चौंकाने वाला बयान देकर अपनी फजीहत कराई थी। रावत ने दावा किया था कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है, जो ऑक्सीजन को सांस के रूप में बाहर निकालती है।

यह भी याद रहे कि पद से अचानक हटाए जाने को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत  की आहत भावनाएं एक होली मिलन कार्यक्रम के दौरान छलक पड़ीं थी, जहां उन्होंने अपनी तुलना महाभारत के चरित्र अभिमन्यु से कर डाली थी, जिसे अपने ही परिवार के लोगों ने युद्धभूमि में छल से मारा था। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, ‘‘अभिमन्यु के वध पर द्रोपदी शोक नहीं करती है। हाथ खड़े करके बोलती है कि पांडवों इसका प्रतिकार करो। अपने कार्यकाल का चार साल पूरा होने से महज नौ दिन पहले पद से हटाए गए रावत ने कहा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान देने का प्रयास किया और हो सकता है कि इससे कुछ लोगों को कष्ट हुआ हो। तब भी वे चर्चा में थे।

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