..तो क्या कोरोना के खौफ में ही जीने की आदत डालनी होगी?  

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नई दिल्ली. पोलिसनामा ऑनलाइन – अब ऐसा लग रहा है कि कोरोना वायरस के खतरे के बीच लोगों को जीने की कोशिश करनी होगी, क्योंकि लंदन इंपेरियल कॉलेज में ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर और कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूत डेविड नैबारो का कहना है कि इसकी वैक्सीन के सफलतापूर्वक तैयार कर लेने की अभी कोई गारंटी नहीं है। नए माहौल में ही रहने का सामंजस्य इंसान को बनाना होगा। यह मानकर चलना अभी व्यर्थ है कि कोरोना की कोई सटीक वैक्सीन आ रही है और इस समस्या का जड़ से अंत हो जाएगा।

डेविड नैबारो ने कहा कि हर वायरस के खिलाफ अनिवार्य तौर से आप एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन नहीं बना सकते। यह काफी मुश्किल है। इसलिए इसके वायरस के खतरे के बीच ही जीने की आदत डालनी होगी। संक्रमाक रोगों के एक्सपर्ट ने कहा कि इसका मतलब भी साफ है कि जिनमें इसका लक्षण दिखे, तुरंत उन्हें आइसोलेट किया जाए। बुजुर्गों की रक्षा करनी होगी और अस्पतालों की क्षमता बढ़ानी होगी। हम सभी के लिए यह एक ‘न्यू नार्मल’ होगा। इससे पहले ड्ब्ल्यूएचओ के भी एक अधिकारी ने कहा था कि कोई ठोस सबूत नहीं कि एक बार कोरोना से संक्रमित होने के बाद लोग इस बीमारी से इम्यून हो जाते हैं।

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