कोरोना वायरस को रोकने में WHO पर लापरवाही का है आरोप, अब होगी जांच

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन  – कोरोना वायरस महामारी से निपटने में सदस्य देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका की स्वतंत्र जांच के लिए राजी हो गये हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तौर तरीके की अमेरिका द्वारा की जा रही आलोचना के बीच, इस वैश्विक संकट के प्रति संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की जवाबी कार्रवाई की स्वतंत्र जांच पर मंगलवार को सहमत हो गए। डब्ल्यूएचओ की वार्षिक सभा में हिस्सा ले रहे देशों ने इस संकट के प्रति संयुक्त जवाबी कार्रवाई की अपील करते हुए आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया। संगठन के 194 सदस्यों की वार्षिक बैठक में बिना किसी आपत्ति के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहने वाले भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन में एक अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है। भारत 22 मई को WHO के एग्जिक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन बनने जा रहा है। भारत दुनिया के उन 10 चुनिंदा देशों में है, जिन्हें अगले तीन सालों के लिए एग्जिक्यूटिव बोर्ड में जगह मिली है। भारत के लिए गर्व की बात ये है कि उसे एग्जिक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन देश चुना गया है। भारत डब्ल्यूएचओ की इस बॉडी में जापान की जगह लेगा। अभी जापान के डॉ हिरोकी नाकाटानी एग्जिक्यूटिव बोर्ड के सदस्य हैं।

भारत के अलावा इस बोर्ड में बोत्सवाना, कोलंबिया, घाना, गिनी-बिसाऊ, मेडागास्कर, ओमान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस और ब्रिटेन को जगह मिली है। भारत के पास ये अहम जिम्मेदारी उस वक्त आ रही है जब कोरोना वायरस को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तल्खी है। कोरोना वायरस संक्रमण की सही जानकारी नहीं देने पर अमेरिका चीन से खफा है और इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश भी इस मामले चीन के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि यूरोपीय संघ ने 100 देशों की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया था। जिसमें इस महामारी के प्रति अंतरराष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई के ‘निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं समग्र मूल्यांकन’ की मांग की गयी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जांच में यह शामिल हो कि ‘कोविड-19 महामारी के संबंध में डब्ल्यूएचओ ने कब-कब, कौन कौन से कदम उठाये।’ अमेरिका ने इस आम सहमति से अपने आप को अलग नहीं किया जैसा कि कुछ देशों को आशंका थी। अमेरिका ने इस सभा के पहले दिन सोमवार को डब्ल्यूएचओ को फटकार लगायी थी और चीन की भी, उसकी भूमिका को लेकर आलोचना की थी।

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के इतिहास में पहली बार 18-19 मई को जेनेवा में टेलीकॉन्फ्रेन्सिन्ग के जरिये वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली आयोजित की गई थी। इस एसेम्बली में दुनिया भर में अब तक 47 लाख लोगों को संक्रमित करने वाले और तीन लाख से ज़्यादा लोगों की जान लेने वाले कोरोना वायरस से प्रभावी ढंग से निपटने पर चर्चा हुई।

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