नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की संभावनाएं बढ़ीं, ब्रिटिश अदालत ने भारत के सबूत स्वीकार किए

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण की संभावनाएं बढ़ गई हैं। ब्रिटिश अदालत ने नीरव के खिलाफ सबूत स्वीकार कर भारतीय पक्ष में फैसला दिया है। नीरव मोदी अनुमानित 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी घोटाले के मुकदमे का सामना करने के लिए भारत में वांछित है।

नीरव मोदी ने अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में चुनौती दी थी। वह इस समय लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। यह मामला भारत की दो जांच एजेंसियों केंद्रीय जांच ब्यूरो और सतर्कता निदेशालय ने दायर किया था। आरोप है कि मोदी ने भारतीय बैंक के फर्जी सहमति-पत्र दिखा कर बैंकों से लोन लिए और उस धन की हेरा फेरी की। लंदन की पुलिस ने 19 मार्च को नीरव मोदी को गिरफ्तार किया था। हाल ही में ब्रिटेन की अदालत ने चल रही प्रत्यर्पण की सुनवाई को 3 नवंबर तक बढ़ा दिया था। पिछले माह मोदी के कानूनी वकील ने यूके कोर्ट को बताया था कि इस मामले का राजनीतिकरण होने के कारण नीरव मोदी की भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो रही है।

मंगलवार की सुनवाई वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने प्रस्तुत साक्ष्य की स्वीकार्यता पर फैसले के लिए निर्धारित अतिरिक्त सुनवाई थी। क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस करते हुए जोर दिया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाह के बयान सहित साक्ष्य ब्रिटिश कोर्ट को यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं कि नीरव मोदी का भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष जवाब देने का मामला बनता है या नहीं। 49 वर्षीय नीरव ने कोर्ट का कार्यवाही दक्षिण-पश्चिम लंदन के वैंड्सवर्थ जेल से वीडियोलिंक के जरिए देखी, जहां वह मार्च 2019 से बंद है।

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस करते हुए जोर दिया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाह के बयान सहित साक्ष्य ब्रिटिश कोर्ट को यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं कि नीरव मोदी का भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष जवाब देने का मामला बनता है या नहीं। इसने दलील दी कि पीएनबी के कई कर्मचारियों ने नीरव मोदी के साथ मिलकर ‘लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग’ (एलओयू) के लिए साजिश रची थी। नीरव मोदी को 1 दिसंबर तक रिमांड में भेज दिया गया। दोनों पक्ष 7 और 8 जनवरी को अंतिम बहस करेंगे और 2021 में इसके कुछ हफ्ते बाद फैसला आने की उम्मीद है।

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