स्कूल शुरू करने की जल्दबाजी न करे सरकार

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अभिभावकों की राय जानने की विधायक महेश लांडगे ने की मांग

पिंपरी : पोलिसनामा ऑनलाइन – लॉकडाउन के चार चरण के खत्म होते ही अनलॉक के पहले चरण की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि इस चरण में कोरोना के मरीज रोजाना बढ़ रहे हैं। उसी में राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेज शुरू करने की गतिविधियों को तेज कर दिया है। इससे अभिभावकों में चिंता का माहौल बन गया है। स्कूल- कॉलेज शुरू करने की जल्दबाजी बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है। ऐसे में कोरोना का हालात काबू में आये बिना स्कूल कॉलेज शुरू न किये जाए, यह राय अभिभावकों द्वारा दी जा रही है। उनकी राय जाने बिना स्कूल-कॉलेज शुरू करने की जल्दबाजी न की जाय, यह मांग भोसरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं भाजपा की पिंपरी चिंचवड शहर इकाई के अध्यक्ष महेश लांडगे ने की है।

इस बारे में विधायक लांडगे ने महाराष्ट्र की स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि, कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की घोषणा करते वक्त सबसे पहले स्कूल- कॉलेज बन्द कर दिये गए हैं। अब उन्हें पुनः शुरू करने की सरकार की गतिविधियां तेज हो गई है। जबकि आज के दौर में कोरोना के मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। इजरायल ने 120 स्कूल शुरू करने का फैसला किया और तीन सप्ताह में 347 विद्यार्थी और शिक्षक कोरोना ग्रस्त मिले। नतीजन करीबन 16 हजार विद्यार्थियों को क्वारंटाइन करने की नौबत आई। इजरायल को स्कूल शुरू करने की जल्दबाजी महंगी साबित हुई है। बढ़ते खतरे को भांपते हुए वहां स्कूलों को फिर से बन्द कर दिया गया।

इजरायल का जीता जागता उदाहरण हमारे सामने है, ऐसे में हमारे यहां भी स्कूल- कॉलेज शुरू करने की जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। इसके लिए विधायक लांडगे ने एक और तर्क रखा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते लोगों के रोजगार- स्वरोजगार के साधन छीन गए हैं। दो माह से कइयों को वेतन तक नहीं मिला है। उनके समक्ष दो वक्त को रोटी का प्रश्न गहरा गया है। अगर उसी में स्कूल-कॉलेज खुल गए तो बच्चों की फीस, यूनिफॉर्म, कापी -किताबें, स्कूली सामग्री खरीदने का अतिरिक्त खर्च का भार बढ़ जाएगा। वैसे भी स्कूलों की ओर से बच्चों की फीस भरने को लेकर तकाजा किया जा रहा है। वर्च्युअल क्लास शुरू करने के लिए मोबाइल, टैब खरीदने को कहा जा रहा है। कुल मिलाकर स्कूल- कॉलेज शुरू करने की जल्दबाजी न की जाय, उसके लिए अभिभावकों का मत जाना जाय, यह मांग भी उन्होंने की है।

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