जोश और होश के बीच तारतम्य बिठाना आवश्यक; मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उप-निरीक्षक के दीक्षांत समारोह में दी नसीहत

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अनुशासन और सुंदरता का अनोखा संगम होता है दीक्षांत समारोह। हालांकि,  आज इस कार्यक्रम को मास्क पहनकर करना पड़ रहा है। यह पुलिस बल की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। अनुशासन और नियमों का पालन हम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम आज के समारोह में महाराष्ट्र को कर्तव्यनिष्ठ और कुशल अधिकारी दे रहे हैं। साथ ही ‘जोश’ और ‘होश’ के बीच के अंतर को पहचानना होगा। इसके लिए हमें दृढ़ रहना होगा।

नासिक में महाराष्ट्र पुलिस अकादमी के उप-निरीक्षक के 118 वें सत्र का दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर उद्धव ठाकरे ने इस बैच के अधिकारियों से संवाद साधा। उन्होंने कहा कि पुलिस की सेवा करते समय कई भूमिकाएँ निभानी होती हैं। फिल्म में जो दिखाया जाता है और वास्तविक पुलिस के बीच जमीन-आसमान का अंतर है। वास्तव में पुलिस को जमीन पर काम करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें मिले प्रशिक्षण के साथ ही संयम भी रखना पड़ताहै। कठोर प्रशिक्षण पूरा करने के दौरान उत्साह होगा ही, लेकिन बेहोश होकर नहीं चलने वाला है। जोश और होश के बीच तारतम्य बिठाना होगा, इसके लिए दृढ़ रहना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बहादुर जवान गढ़चिरौली में नक्सलियों का सामना कर रहे हैं। उन पर नज़र रख रहे हैं। वे एक तरफ नक्सलियों का सामना कर रहे हैं और दूसरी तरफ कोरोना का सामना कर रहे हैं। जो शत्रु दिख रअहे हैं उन पर तो हमला किया जा सकता है लेकिन यह हथियार कोरोना के खिलाफ नहीं चल सकता है। कोरोना काल के दौरान भी समाज के लिए अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।

पुलिस को जमीन पर रहकर काम करना है

प्रशिक्षण लेनेवालो ने तेरह महीने का कठोर प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। उन्होंने तेरह महीने के प्रशिक्षण के माध्यम से एक मजबूत शरीर प्राप्त किया है, लेकिन स्वस्थ और स्वस्थ मन भी इस सेवा के लिए आवश्यक है। पुलिस को सेवा प्रदान करते समय कई भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं। जैसा फिल्म में दिखाया जाता है, वैसा वास्तविक पुलिस का जीवन नहीं होता है। रील और रियल पुलिस में जमीन आसमान का अंतर होता है। वास्तविक  पुलिस को जमीन पर रहकर काम करना पड़ता है।

किया तो क्यों किया? यदि नहीं तो क्यों नहीं किया?

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशिक्षुओं को उनके द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण और सन्यम दोनो के साथ निपटना होगा।  किया तो क्यो किया और अगर नहीं किया तो क्यो नहीं किया, इस तरह से पुलिस के हर काम पर सवाल पूछा जाता है। इसलिए कठोर प्रशिक्षण के माध्यम से मन की शक्ति को प्राप्त करना पड़ता है। इसके लिए इच्छाशक्ति भी महत्वपूर्ण है।

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