बनी सहमति…नेपाल में रामायण सर्किट बनाने में आएगी तेजी, भारत देगा साथ

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पटना. ऑनलाइन टीम – नेपाल सरकार सोमवार को बदली-बदली नजर आई। यही नहीं, भारत की मदद से नेपाल के कई जगहों को रामायण सर्किट से जोड़ने की परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने पर भी सहमति भी बनी। हालांकि वर्ष 2018 में ही पीएम नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के दौरान इस पर सहमति बनी थी, लेकिन खास प्रगति नहीं हो पाई। तब भारत सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना की रामायण सर्किट थीम के तहत उत्तर प्रदेश और बिहार सहित नौ राज्यों में विकास के लिए 15 स्थानों की पहचान की थी।

रामायण सर्किट : इसके तहत उत्तर प्रदेश के अयोध्या, नंदीग्राम, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट, बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा, मध्यप्रदेश के चित्रकूट, ओडिशा के महेंद्रगिरी, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, महाराष्ट्र के नासिक और नागपुर, तेलंगाना के भद्राचलम, कर्नाटक के हम्पी और तमिलनाडु के रामेश्वर को स्वदेश दर्शन योजना की रामायण परिपथ थीम के अंतर्गत चिह्नित किया गया है।
हाल के दिनों में उत्तराखंड के लिंप्याधूरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल द्वारा अपने नए राजनीतिक नक्शे में दिखाने को लेकर दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ती दिखाई दे रही थी। यही नहीं, बाढ़ के समय बिहार की नदियों का नेपाल की ओर से तटबंधों के मरम्मत में व्यवधान पैदा कर नेपाल ने अपना गैर-जिम्मेदार रुख दिखाया था। रही-सही कसर भगवान श्रीराम को नेपाल का बताकर नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने पूरी कर दी।

खास तौर पर भगवान श्रीराम और माता जानकी से भावनात्मक लगाव रखने वाले लोगों को तो भारत-नेपाल के बीच की ये तल्खी असहनीय थी। बहरहाल, देर ही सही, नेपाल दुरुस्त नजर आ रहा है। भारत-नेपाल के बीच सांस्कृतिक संबंधों में और पगाढ़ता लाने के उद्देश्य से ही नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने वर्ष 2018 में पीएम मोदी के नेपाल दौरे के समय सीता के जन्म स्थान जनकपुर से अयोध्या तक बस सेवा की शुरुआत की थी। अब एक बार फिर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने 17 अगस्त को एक टेबल पर बैठकर दौरान रामायण सर्किट पर चर्चा की। जाहिर है इससे संबंधों में तल्खी कम होने की उम्मीद जगी है।

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