बड़ी उपलब्धि… भारत में भी होगी हींग की खेती, 3 साल के शोध के बाद मिली सफलता

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किचन में अहम स्थान रखने वाले हींग की रत्तीभर भी पैदावार भारत में नहीं होती है। देश में हर साल 600 करोड़ रुपये का कच्चा माल हींग बनाने के लिए दूसरे देशों से खरीदा जाता है। यूपी के हाथरस में हींग को प्रोसेस करने वाली करीब 60 यूनिट है। बावजूद इसके खाड़ी देशों को हींग का एक्सपोर्ट किया जाता है। अब बड़ी खुशखबरी यह है कि हींग की पैदावार देश में ही होगी। तीन साल की रिसर्च के बाद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी को यह कामयाबी मिली है।

हिमाचल में होगी शुरुआत : इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. संजय सिंह ने बताया कि इस साल से हिमाचल प्रदेश में हींग का पौधा लगाना शुरू हो जाएगा। हमारी लैब में यह पौधा लगा हुआ है। हम तीन साल से एग्रीकल्चरल मिनिस्ट्री के साथ मिलकर इस पर रिसर्च कर रहे हैं। इस रिसर्च में हमे कामयाबी मिल चुकी है। हिमाचल के बाद जम्मू-कश्मीर और उत्तराखण्ड में भी यह पौधा लगाया जाएगा। इस पौधे को कूल एंड ड्राई मौसम चाहिए होता है। 5 साल में यह पौधा तैयार हो जाता है। रिकॉर्ड के मुताबिक यह पहला मौका है जब हम पौधा लगाने जा रहे हैं।

ऐसे बनती है हींग : हाथरस निवासी और हींग के जानकार श्याम प्रसाद बताते हैं, ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से रेज़ीन (दूध) आता है। एक पौधे से यह दूध निकलता है। मैदा के साथ पौधे से निकल ओलियो-गम राल (दूध) को प्रोसेस किया जाता है। पहले व्यापारी सीधे हाथरस में दूध लेकर आते थे, लेकिन अब दिल्ली का खारी बाबली इलाका बड़ी मंडी बन गया है। प्रोसेस का काम आज भी हाथरस में ही होता है।

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