बड़ा फैसला… स्कूली बस्ते का वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए, शिक्षा निदेशालय ने जारी किए निर्देश

0

नई दिल्ली . ऑनलाइन टीम : स्कूली बच्चों के बस्ते के वजन की समस्या को सबसे पहले बार 1993 में यशपाल कमिटी ने उठाया था। कमिटी ने प्रस्ताव रखा था कि पाठ्यपुस्तकों को स्कूल की संपत्ति समझा जाए और बच्चों को स्कूल में ही किताब रखने के लिए लॉकर्स अलॉट किए जाए। इसमें छात्रों के होमवर्क और क्लासवर्क के लिए भी अलग टाइम-टेबल बनाने की मांग रखी गई थी, ताकि बच्चों को रोजाना किताब घर न ले जानी पड़े। लगभग 27 साल बाद आखिरकार इस यक्ष-प्रश्न पर विराम लगा। स्कूल बैग नीति 2020 के तहत प्राइमरी, सेकेंड्री और सीनियर सेकेंड्री कक्षाओं के बच्चों के स्कूली बस्ते के वजन को कम किया गया है। फिलहाल, यह नीति दिल्ली में लागू होने जा रही है, जिसके तहत अब स्कूली बस्ते का वजन अधिकतम पांच किलो होगा। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने अपने अधीन सभी स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ काफी समय से चर्चा का विषय रहा है। 5वीं से लेकर 12वीं क्लास तक के बच्चे के बैग का काफी वजन होता है। इससे उनको स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ताजा निर्देश में कहा गया है कि एनसीईआरटी और एससीईआरटी की तरफ से निर्धारित पाठ्य पुस्तकें लागू करनी होंगी। साथ ही स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों को इसके लिए एक अच्छी समय सारिणी को तैयार करनी होगा। जिससे बच्चों को हर दिन बहुत सी किताबें या नोटबुक नहीं ले जाना पड़े।

बता दें कि बच्चों के बस्ते के बोझ की समस्या को देखते हुए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) ने 2005 में एक सर्कुलर जारी किया। उस सर्कुलर में बच्चों के शारीरिक और मानसिक दबाव को कम करने के सुझाव दिए गए थे। एनसीएफ, 2005 के आधार पर एनसीईआरटी ने नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तिकाएं तैयार कीं जिसे सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों ने अपनाया। कई राज्यों ने एनसीएफ, 2005 के आधार पर अपने पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तिकाओं में बदलाव किया। अच्छी बात यह भी है कि स्कूल बैग नीति 2020 के तहत प्री प्राइमरी यानी नर्सरी और केजी कक्षा के बच्चों को स्कूल में कोई भी पाठ्यपुस्तक नहीं लानी होगा। जबकि पहले और कक्षा दो के बच्चे एक पाठ्यपुस्तक बस्ते में स्कूल ला सकते हैं। वहीं, इन सभी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल की तरफ से कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाएगा।

शिक्षा निदेशालय ने जारी निर्देशों में स्कूल बस्ते के प्रकार और उसके टांकने को लेकर भी एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत स्कूलों को कहा गया है कि वह अभिभावओं और छात्रों को हल्के, गद्देदार और दोनों कंधों पर सामान भार वितरण पट्टियों वाले बस्ते के बारे में बताएं। साथ ही छात्रों को कहा गया है कि वह स्कूल बस्ते ले जाते समय उसे दोनों कंधों पर सामान रूप से टांके। अगर छात्रों को प्रार्थना सभा या स्कूल के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, तो वह उसे नीचे उतार दें।

स्कूल बैग नीति के तहत बच्चों के लिए गुणवत्ता पूर्ण और पर्याप्त पानी की व्यवस्था करना स्कूलों की जिम्मेदारी होगी। ऐसे में बच्चों को घर से पानी की बोतल ले जाने से परहेज करना होगा।  तीन महीने में एक बार बस्ते की जांच करनी होगी। भारी बस्ता होने पर इसकी जानकारी अभिभावकों को बताते हुए उन्हें इसके नुकसान से अवगत कराना होगा। साथ ही शिक्षक अभिभावक एक या दो सप्ताह के लिए बच्चे के बस्ते की जांच करने के लिए अभिभावकों से कहेंगे।

स्कूल बस्ते का वजन व इस संबंध में नीति विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद तैयार की गई है। इस समिति में सीबीएसई, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति के सदस्य शामिल थे। जिनकी सिफारिश के आधार पर तैयार नीति के अनुरूप बस्ते का वजन स्कूलों को सुनिश्चित कराना होगा। शिक्षा निदेशालय ने जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया है कि भारी स्कूल बस्ता छोटे बच्चों समेत बड़े छात्रों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेय है। भारी बस्ते की वजह से बच्चों व छात्रों के मेरुदंड से लेकर घुटनों तक के विकास में नुकसान पहुंच सकता है। वहीं अगर स्कूल बहुमंजिला है, तो सीढ़ी चढ़ने में भारी स्कूल बैग के साथ सीढ़ियाँ जो समस्या को और बढ़ा देती हैं।

अंतरराष्ट्रीय नियम के मुताबिक, बच्चों के कंधे पर उनके कुल वजन से 10 फीसदी ज्यादा वजन नहीं होना चाहिए। इसको यूं समझें जैसे अगर बच्चे का वजन 20 किलोग्राम है। इसका 10 फीसदी हुआ 2 किलोग्राम। यानी 20 किलोग्राम वजन वाले बच्चे के बस्ते का वजन 2 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि 8वीं क्लास तक के बच्चों को 5 किलोग्राम से ज्यादा वजन ढोना पड़ता है। नि:सेदह इस नए निर्देश से अभिभावक भी राहत की सांस लेंगे।

You might also like
Leave a comment