चुनाव में खर्च की सीमा बढ़ी, चुनाव आयोग की सिफारिश पर सरकार ने लिया फैसला

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों को सरकार ने राहत दी है। यह राहत खर्च को लेकर है। चुनाव आयोग ने एक महीने पहले कोविड-19 के मद्देनजर उम्मीदवारों के धन व्यय की सीमा 10 प्रतिशत बढ़ाने का सुझाव दिया था। आयोग ने सर्वे और अध्ययनों के बाद पाया था कि इस कोरोनाकाल में परिस्थितियां विशेष हैं। सरकार की ओर से समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के चलते उम्मीदवारों को प्रचार करने में परेशानी का सामना कर पड़ सकता है। इसलिए खर्च की सीमा को बढ़ाना जरूरी है। अब सरकार ने चुनाव आयोग के सुझाव पर लोकसभा और विधानसभा उम्मीदवारों की अधिकतम व्यय सीमा 10 प्रतिशत बढ़ा दी है। सरकार के इस निर्णय का पहला फायदा बिहार विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को मिलेगा। लोकसभा की एक तथा विधानसभा की 59 सीटों पर होने वाले उप चुनाव में उम्मीदवारों को मदद मिलेगी।

इतना खर्च कर सकेंगे उम्मीदवार : कानून मंत्रालय द्वारा सोमवार रात जारी की गई एक अधिसूचना के अनुसार उम्मीदवारों की प्रचार के लिए खर्च करने की अधिकतम सीमा हर राज्य में अलग है। मोटे तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहा उम्मीदवार अब अधिकतम 77 लाख रुपये खर्च कर सकता है। पहले यह सीमा 70 लाख रुपये थी। वहीं, विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार अब 28 लाख रुपये की जगह 30.8 लाख रुपये खर्च कर सकता है। बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवम्बर और सात नवम्बर को होना है। अधिकतर उपचुनाव तीन नवम्बर को होंगे। बिहार में वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट और मणिपुर की कुछ विधानसभा सीटों पर उपचुनव सात नवम्बर को है।

अभी तक-
-चुनाव संचालन नियम 1961 के तहत लोकसभा के उम्मीदवार के अधिकतम खर्च की सीमा 70 लाख रुपए है, वहीं 28 लाख रुपए तक के अधिकतम खर्च की सीमा विधानसभा के उम्मीदवारों के लिये निर्धारित की गई है। -जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के तहत, प्रत्येक उम्मीदवार नामांकन की तिथि और परिणाम की घोषणा की तिथि के बीच किये गए सभी व्यय का अलग और सही हिसाब रखेगा।

-सभी उम्मीदवारों को चुनाव पूरा होने के 30 दिनों के भीतर अपना व्यय विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।

-चुनाव में किये गये व्यय के गलत विवरण के आधार पर चुनाव आयोग उम्मीदवार को उम्मीदवार अधिनियम, 1951 की धारा 10 ए के तहत तीन साल तक के लिये अयोग्य घोषित कर सकता है।

-सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को चुनाव पूरा होने के 90 दिनों के भीतर अपने चुनाव खर्च का विवरण चुनाव आयोग को सौंपना होगा।

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