गुर्जर फिर आक्रोशित…दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक जाम, कई इलाकों में इंटरनेट बंद

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जयपुर. ऑनलाइन टीम – आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर फिर आंदोलन पर उतर आए हैं। अपनी मांगों को लेकर गुर्जर रेल की पटरियों पर लेट गए और सरकार को चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएंगी वो पटरियों से नहीं हटेंगे। इस कारण भारतीय रेलवे को दिल्ली और मुंबई के बीच चलने वाली 16 ट्रेनों के रूट में बदलाव करना पड़ा। कई ट्रेनों को झांसी-बीना-नागदा रूट पर मोड़ दिया गया। इसके बाद भी गुर्जर नहीं माने। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और विजय बैंसला की अगुवाई में गुर्जर समाज के लोगों ने पीलूपुरा में रेलवे ट्रेक को जाम कर दिया। ट्रैक की फिश प्लेट के साथ ही पटरियों को भी उखाड़ दिया है।

इस बीच, बड़ी खबर यह भी है कि सरकार का प्रस्ताव लेकर पहुंचे संजय गोयल का प्रस्ताव विजय बैंसला ने ठुकरा दिया है। मंत्री अशोक चांदना ने आंदोलनकरियों से हिंसा न करने की अपील की है। आंदोलन के मूड को देखते हुए अलवर जिले में गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में इंटरनेट बन्द कर दिया गया है। इसमें थानागाजी, नारायणपुर, मालाखेड़ा व सदर थाना क्षेत्र आते हैं। आज नटनी का बारां में गुर्जरों की बैठक है। पिलुकापूरा से निर्देश मिलने पर करेंगे आगे की कार्यवाही की जाएगी। फ़िलहाल प्रशासन अलर्ट मोड़ पर है।
यह आंदोलन सिर्फ आज की बात नहीं। बार-बार गुर्जर आक्रोशित होते हैं।

बात बनती है, फिर बिगड़ जाती है। अगर इस आंदोलन के इतिहास को देखें तो एक समय गुर्जरों ने खुद को अनुसूचित जनजाति घोषित करने की मांग की थी। इससे राजस्थान की मीणा जनजाति से उनका टकराव शुरू हो गया था। वैसे भी संविधान के तहत जनजाति की खास परिभाषा है। सरकारें मनमर्जी से इसमें बदलाव नहीं कर सकतीं। दुर्भाग्यवश अपने देश में राजनीतिक दल जातीय/सामुदायिक मामलों में भावनाओं का सियासी फायदा उठाने के मोह से नहीं बच पाते। इसलिए कई बार लगता है कि मराठा आरक्षण, जाट आरक्षण, जैसे संघर्ष की पटकथा राजनीतिक गलियारे में पहले लिखी जाती है और परिणाम बाद में सामने आता है और जिस रूप में सामने आता है, वह राजनीतिक विद्रुपीकरण का पर्याय बन जाता है। अब एक और आंदोलन अपना हिस्सा तलाश रहा है, लड़ाई जारी है।

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