Maharashtra : जायसवाल की नियुक्ति से बढ़ेगी राज्य सरकार की मुश्किलें?
मुंबई : ऑनलाइन टीम – राज्य में पुलिस अधिकारियों के तबादले को लेकर जायसवाल की राज्य सरकार से अनबन हो गई थी। सुबोध कुमार जायसवाल जो राज्य सरकार से असहमति के कारण केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर लौटे थे। अब केंद्र ने उन्हें ही सीबीआई प्रमुख बनाया है। इससे क्या राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।
केंद्रीय खुफिया एजेंसी में अच्छा प्रदर्शन कर रहे 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी जायसवाल को भाजपा शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा राज्य पुलिस बल में वापस लाया गया था। जुलाई 2018 में उन्हें मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद का सम्मान दिया गया। मुंबई और राज्य पुलिस के लिए यह सुखद झटका था। पडसलगीकर की सेवानिवृत्ति के बाद जायसवाल को पुलिस महानिदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया था।
उन्होंने पिछले साल मार्च में पुलिस महानिदेशक का पदभार संभाला था। उसके बाद राज्य सरकार बदल गई। नवगठित महाविकास अघाड़ी सरकार और जायसवाल कई दिनों से आमने-सामने हैं। अंत में जायसवाल ने केंद्र में लौटने का फैसला किया। राज्य के गृह मंत्रालय ने उन्हें केंद्र में लौटने की अनुमति दी, जिसके बाद केंद्रीय कैबिनेट समिति ने हरी झंडी दे दी और जायसवाल को सीआईएसएफ का महानिदेशक नियुक्त किया।
वह भारतीय खुफिया एजेंसी के वरिष्ठ सदस्य थे। जायसवाल तेलगी स्टांप पेपर घोटाले में जांच अधिकारी थे। वहीं, महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा। वह 2006 के मुंबई बम धमाकों की जांच टीम में था। उन्होंने मुंबई पुलिस में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के रूप में भी काम किया है।
जायसवाल के नेतृत्व में देशमुख मामले की जांच –
राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के 100 करोड़ वसूली मामले में Adv. जयश्री पाटिल ने भी याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने मामले को सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। इसलिए जब से जायसवाल मुखिया के रूप में आए हैं, तो उनके नेतृत्व में इसकी जांच कराई जाएगी। इससे देशमुख समेत राज्य सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।