महाराष्ट्र के समुन्द्र में बढ़ी जेलीफिश की संख्या ; मछुआरे परेशान

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मुंबई, 19 नवंबर – महाराष्ट्र के समुंद्री किनारों पर बढ़ी जेली फिश की संख्या मछुआरों के लिए सिरदर्द बन गया है। जेलीफिश के बढ़ते अतिक्रमण का सीधा असर मछली पकड़ने पर हो रहा है। इसलिए राज्य के समुंद्री किनारों के सभी क्षेत्रों में जेलीफिश की बढ़ती परेशानी से मछुवारे बच रहे है ।

पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र के समुंद्री क्षेत्र में बड़ी तादाद में जेलीफिश नज़र आने की जानकारी मछुआरों की तरह से मिल रही है। सिंधुदुर्ग रत्नागिरी के समुंद्री क्षेत्र में जेलीफिश की संख्या बढ़ने से मछली पदकना मुश्किल हो गया है। यह जानकारी मछुआरा अक्षय हरम ने दी। उन्होंने बताया कि समुंद्री किनारो पर केशरी रंग और 8 से 9 मिल समुंद्री किनारों पर हरे रंग का जेलीफिश दिख रहा है। इन जेलीफिश के पास बहुत बड़ी तादाद में मछलियां घूमती रहती है जिसके कारण बहुत दिनों से मछली पकड़ना कम हो गया है। इसका सीधा असर प्रमुख रूप से ट्रॉलर, गील नेट और कर जाली पर पड़ रहा है।

समुन्द्र में जेलीफिश की बढ़ती संख्या की वजह से मुंबई, ठाणे और पालघर के मछुआरे परेशान है। यह जानकारी ऑल इंडिया पर्ससीन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष गणेश नाखवा ने दी। ऐसी उम्मीद थी कि लॉकडाउन के कारण बंद मछली पकड़ने पर अच्छा असर समुंद्री परिस्थिति पर होगा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से समुंद्री पानी में बड़ी तादाद में जेलीफिश बढ़ने से मछुआरों के जाल में मछली की बजाय जेलीफिश फंस रहा है। इस संबंध में समुंद्री जीव वैज्ञानिक स्वप्निल तांडेल ने बताया कि जेलफिश छोटे मछलियों का अंडा और मछली के बच्चों को खाता है। इसलिए मछली के बढ़ने और स्टॉक पर इसका असर हो रहा है। अन्न के आभाव में जेलीफिश ने इस क्षेत्र का रुख किया है।

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