2-3 दिनों में परमबीर सिंह पर तेलगी बम? 60,000 करोड़ के घोटाले पर होगी चर्चा

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नागपुर : ऑनलाइन टीम – सचिन वाजे से घनिष्ट संबंध होने की वजह से मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया। जिसके बाद उन्होंने द्वारा एक लेटर बम ने खलबली मचा दी है। इस बीच अब परमबीर सिंह पर एक बम गिरने की संभावना बन रही है। हजारों करोड़ के बने नकली स्टांप घोटाले का तेलगी बम अब परमवीर सिंह पर गिरने की चर्चा है।

सूत्रों के मुताबिक, मामला 1999 का है। संबंधित अधिकारी को सूचना मिली थी कि एक गिरोह ठाणे-मुंबई क्षेत्र में नकली डाक टिकट बेच रहा है। इस दौरान बहादुर अधिकारी ने 15 दिन तक अपने जीवन को खतरे में डाल कर सबूत के साथ गिरोह के बारे में जानकारी प्राप्त करने में जुट गए। 21 अगस्त, 1999 को एक अधिकारी और उनके सहयोगियों के साथ मीरा रोड पुलिस स्टेशन पर छापा मारा और फुलचंद जैन नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया। उसके पास से नकद हस्तांतरण के लिए इस्तेमाल किए गए 21,000 नकली डाक टिकट, रेव्हेन्यू स्टॅम्प और टिकट जब्त किए गए।

तेलगी घोटाले की पहली प्राथमिकी मीरा रोड पुलिस स्टेशन (सीआर नंबर 274/1999) में दर्ज की गई थी। फिर अगले चार दिनों में उमेश खंडेलवाल और भाऊसाहेब जगदाले (जीपीओ, वीटी, मुंबई) को पकड़ा गया। जगदाले एक डाक कर्मचारी थे और उनके पास टिकट काउंटर था। वह तेलगी द्वारा निर्मित फर्जी टिकट और आधे बिकने वाले डाक टिकट बेचता था। नकली टिकटों की बिक्री को बाद में आरोपियों ने रैकेट में शामिल कर लिया।

जगदाले ने फिर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी। विजय कदम गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उसके पास से एक पंचिंग मशीन और बड़ी संख्या में नकली टिकट जब्त किए। इसके बाद, उन्हीं अधिकारियों ने उदय सावंत को पकड़ा और 25 अगस्त, 1999 को कोलाबा में मिंट रोड पर अक्षर प्रेस पर छापा मारा। पुलिस को वहां लगभग 98 लाख नकली टिकट और टिकट मिले।

तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक पाटील ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को सील करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप लोग चले जाओ। इस दौरान ठाणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक के रूप में परमबीर सिंग थे। पाटिल उनके सबसे भरोसेमंद अधिकारी के रूप में जाने जाते थे। बाद में इस मामले में कई घटनाएं हुईं और इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले अधिकारी को बदल दिया गया और उन पर मानसिक अत्याचार किया गया। अधिकारी ने यह भी दावा किया कि यह सब परमबीर सिंह के कहने पर तेलगी और उसके गुर्गों को बचाने के लिए किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परमबीर सिंह की वजह से देश को 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

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