वेस्टर्न कंट्रीज में टॉयलेट पेपर की सोटेज, पानी से धोने का आइडिया ने पकड़ा जोर

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नई दिल्ली : पोलिसनामा ऑनलाइन –  अमेरिका, ब्रिटेनऔर ऑस्ट्रेलिया जैसे कई वेस्टर्न कंट्रीज पानी की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि अब पश्चिमी देशों में कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण के दौर में शहर से लेकर देश तक ऐसे बंद करने पड़े हैं कि जरूरी चीजों की खरीदारी कर तमाम लोगों को घर बैठना पड़ रहा है। ऐसे में सुपरमार्केटों में टॉयलेट पेपर वाले रैक फटाफट खाली हो जा रहे हैं। ऐसी संकट की स्थिति में पश्चिमी देशों में भी पेपर के बजाय पानी से धोने का आइडिया सोशल मीडिया के माध्यम से लोकप्रिय हो रहा है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल से आप पूरी तरह साफ नहीं हो पाते हैं। टॉयलेट पेपर के ज्यादा इस्तेमाल से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन्स और एनल फिशर जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बताया जाता है कि पानी के इस्तेमाल से या फिर वेट वाइप्स से बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। इससे इन्फेक्शन होने की संभावना भी कम हो जाती है। हालांकि शौच के बाद उसे साफ़ करने के कई अलग-अलग तरीके का इस्तेमाल होता है।

शौच के बाद उसे साफ़ करने के कई अलग-अलग तरीके –
– टॉयलेट सीट में पानी से धोने की व्यवस्था करने में फ्रांस सबसे आगे रहा। सन 1710 में ही फ्रांस ने ‘बिडेट’ का आविष्कार कर दिया, जो कि आज कल के वेस्टर्न टॉयलेट में लगी पाइप का सबसे पहला प्रारूप माना जाता है। फ्रांस और इटली में आज भी कई जगह टॉयलेटों में दो सीट लगी होती है। एक शौच करने के लिए और दूसरी गर्म और ठंडे पानी की फुहार छोड़ने वाली।

– इसके अलावा मध्य पूर्व में भी शरीर को साफ करने के लिए केवल पानी के इस्तेमाल का ही चलन रहा है और कागज के इस्तेमाल के लिए बाकायदा फतवा जारी होने का जिक्र मिलता है जिसमें कहा गया कि जरूरत पड़ने पर इस्लाम में इसकी अनुमति है।

– चीन में दूसरी सदी ईसा पूर्व में हुए कागज के आविष्कार के बाद सन 589 में टॉयलेट में पेपर के इस्तेमाल का पहला सबूत कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है। चीन में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल यूरोप से कई सदी पहले से होने लगा था। पेपर बनाने की तकनीक भी चीन से मध्य पूर्व के रास्ते होते हुए 13वीं सदी में यूरोप पहुंची थी।

– सन 1883 में यूरोप में पेपर टॉयलेट डिस्पेंसर का पहला पेटेंट आया और इसके आठ साल बाद अमेरिका में ऐसा पहला प्रोडक्ट पेटेंट हुआ। तब से सस्ता होने के कारण इसकी खपत बढ़ती ही गई और आज टॉयलेट पेपर रोल के इस्तेमाल में अमेरिका विश्व में सबसे आगे है।

जापान, इटली और ग्रीस जैसे देशों में शौच के बाद सफाई के लिए प्रेशर शावर यानि पानी का इस्तेमाल आम है। जबकि ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में लोग नित्य कर्म के बाद सफाई के लिए आमतौर पर टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं। कोरोना महामारी से बचने के लिए लोग बाहर नहीं जा रहे है ऐसे में पश्चिमी देश में पानी से ही काम चला रहे है।

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