श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने अदालती जंग में कूदीं नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रपौत्री भी

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मथुरा. ऑनलाइन टीम – उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थान विवाद बढ़ता जा रहा है। इतिहासकार मानते हैं कि औरंगजेब ने यहां के प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था और शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के हिंदू राजा को जमीन के कानूनी अधिकार सौंप दिए थे, जिस पर मस्जिद खड़ी थी। 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर यह तय किया गया कि वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। इसके बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया था।

कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं। इस संस्था ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दायर किया, लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया। इसके तहत मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और उन्हें (मुस्लिम पक्ष को) उसके बदले पास की जगह दे दी गई। जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। इस पूरे विवाद में अब नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रपौत्री और हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरी ने भी पक्षकार बनने की कोर्ट में अपील दी है। चौधरी ने बताया, ‘कृष्णजन्मभूमि के बगल में बना ईदगाह अवैध है। केवल इतना ही नहीं, हमारे एजेंडे में अभी काशी विश्वनाथ, तेजो महल भी है।’

कृष्ण मंदिर के बगल में बने मस्जिद को हटाने के लिए अक्टूबर में दी गई याचिका को मथुरा कोर्ट ने स्वीकृत किया था। यह याचिका बाल देवता भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से रंजना अग्निहोत्री और अन्य पांच लोगों ने दायर की थी। रंजना लखनऊ की रहने वाली हैं, तो राजश्री चौधरी की परदादी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की छह बहनों में से एक थीं। दो साल पहले 2018 में वह हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद संगठन की अध्यक्ष बनीं वह दूसरी बंगाली हैं। जनसंघ के संस्थापक मुखर्जी 1943 से लेकर 1946 तक अध्यक्ष रहे थे।

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