महाराष्ट्र और केरल में कोरोना की दूसरी लहर क्यों बनी सबसे घातक? एक्सपर्ट ने बताया

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मुंबई : ऑनलाइन टीम – देश में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार अब धीमी हो रही है। लेकिन, महाराष्ट्र और केरल में कोरोना के रोज के मामलों में अभी भी तेजी बरकरार है। जबकि शुरुआत से ही महाराष्ट्र कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य रहा है लेकिन केरल ने पहली लहर के दौरान कोरोना पर बहुत नियंत्रण कर लिया लेकिन पिछल दो महीने में वहां भी हालात बिगड़े हैं।

महाराष्ट्र में स्वास्थ्य जानकारों ने उच्च जनसंख्या घनत्व और कोविड नियमों के उल्लंघन को सबसे बड़ा कारण बताया है, जिससे राज्य में कोविड के इतने मामले दर्ज हुए। मई में महाराष्ट्र में होने वाली मौत का आंकड़ा देश के मृतकों की संख्या एक चौथाई था। इसके अलावा महाराष्ट्र में कोविड-19 की टेस्टिंग भी काफी बड़ी संख्या में हुई। इस साल अप्रैल और मई महीने में 70 लाख हर महीने टेस्टिंग की गई। हालांकि दूसरी लहर के दौरान भी, केरल ने बहुत मात्रा में टेस्टिंग की। केरल ने मई महीने में करीब 40 लाख टेस्ट किए।

कोरोना की पहली लहर के दौरान महाराष्ट्र के मुंबई शहर में कोरोना का सबसे बुरा प्रकोप देखा गया। ऐसा इसलिए क्योंकि, यहां अंतरराष्ट्रीय यात्री बड़ी संख्या में आते हैं, खासकर मिडल ईस्ट से। सरकार की ओर से मार्च 2020 में संपूर्ण लॉकडाउन ना लगने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर रोक लगी, लेकिन तब तक कोरोना वायरस मुंबई में दस्तक दे चुका था।

पहली लहर के दौरान महाराष्ट्र में 35,000 रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आए और मुंबई में 2500 मामले। लेकिन उस समय अमरावती में 100 से भी कम मामले थे। लेकिन दूसरी लहर के दौरान अमरावती में हर दिन 1000 से ज्यादा मामले सामने आने लगे। अमरावती में जब मामले बढ़ने लगे तो जानकारों को लगा कि ये वायरस के बदलते स्वरूप की वजह से हो रहा है।

कोरोना की पहली लहर के दौरान केरल एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसने महामारी पर बहुत अच्छे नियंत्रण किया था। लेकिन दूसरी लहर के दौरान केरल में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े और अस्पतालों में जगह कम पड़ गई। दरअसल, अप्रैल की शुरुआत में केरल में विधानसभा चुनाव हुए। क्योंकि चुनावों की घोषणा मार्च में हो गई थी, इसलिए राजनैतिक पार्टियों ने रैलियां करनी शुरू कर दी।

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