बांद्रा कब्रिस्तान में संक्रमितों के शव दफनाने पर रोक लगाने से कोर्ट ने किया इनकार

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मुंबई. पोलिसनामा ऑनलाइन – मुंबई में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मृतकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अब एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने कोरोना संक्रमित मरीजों के शव बांद्रा के कब्रिस्तान में दफनाने से रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सोमवार को न्यायमूर्ति बीपी कोलाबवाला ने उपनगर बांद्रा में कोंकणी मुस्लिम कब्रिस्तान के पास रहने वाले लोगों की याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में कोविड-19 संक्रमण से जान गंवाने वालों के शवों को दफन करने पर रोक लगाने की कोर्ट से मांग की गई थी।
यह है मामला : दरअसल, बंबई उच्च न्यायालय में कोरोना वायरस की वजह से जान गंवाने वालों के शवों को दफनाने के लिए ‘बांद्रा कब्रिस्तान’ का इस्तेमाल करने की बीएमसी की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई थी। याचिका प्रदीप गांधी और अन्य ने दायर की थी। इसमें दावा किया गया था कि अगर शव ठीक तरीके से नहीं दफनाया गया तो स्थानीय लोगों में वायरस के सामुदायिक संचरण का डर है। वहीं कब्रिस्तान के न्यासियों की ओर से वकील प्रताप निम्बाल्कर ने याचिका का विरोध किया।

यह दलील दी थी : उन्होंने दलील दी कि शवों को दफनाने से पहले उचित सावधानी बरती जा रही है। साथ ही यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं रखा है, जिससे यह पता चले कि शवों से वायरस फैल सकता है। अदालत ने इस दलील को मानते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने कोई सामग्री या सबूत पेश नहीं किया, जो दिखाए कि कोविड-19 संक्रमण से जान गंवाने वाले व्यक्ति को दफनाने से आसपास रहने वाले लोगों के जीवन को कोई खतरा होगा।

ताले खोले जाएं : हाईकोर्ट ने बृहंमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को आदेश भी दिया कि स्थानीय पुलिस की मदद से कब्रिस्तान के दरवाजे पर स्थानीय लोगों के लगाए गए तीन ताले खोले जाएं। बता दें कि स्थानीय लोगों ने इस कब्रिस्तान में शव को दफनाए जाने के खिलाफ 13 अप्रैल को प्रदर्शन किया था और कब्रिस्तान के दरवाजे पर ताला लगा दिया था।

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