कोरोना संक्रमण के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों की पहचान से इलाज हो सकता है संभव

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – कोविड-19 के रोगियों में तंत्रिका संबंधी सामान्य शिकायतों में सिरदर्द, सूंघने और स्वाद संबंधी चेतना का खत्म हो जाना और दौरा पड़ना शामिल है। कई अध्ययनों की समीक्षा में ये बातें सामने आईं, जिनसे कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का बेहतर इलाज संभव हो सकेगा।अमेरिका के याले स्कूल ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, कोविड-19 में श्वसन संबंधी लक्षणों का पता चल गया है, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण में तंत्रिका संबंधी बीमारी के बारे में ठीक से पता नहीं है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि इस संक्रमण के प्रभाव से सिरदर्द होता है, सूंघने और स्वाद की क्षमता कम हो जाती है, बेहोशी होती है और दौरे पड़ने के मामले भी होते हैं। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के प्रकाशित समीक्षा शोध में संभावित प्रणाली का जिक्र किया गया है जिससे सार्स कोव-2 की तुलना इसी तरह के कोरोना वायरस एमईआरएस-कोव और सार्स-कोव-1 के साथ करके देखी गयी, जो केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली (सीएनएस) को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के तंत्रिका प्रणाली पर संक्रमण के बारे में मौजूद सूचनाओं को एकत्रित किया और संभावित उत्तक लक्ष्यों और सीएनएस में सार्स-कोव-2 के प्रवेश मार्गों की पहचान की।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित पहले के एक शोध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जिन 58 रोगियों पर अध्ययन किया गया उनमें से 49 में तंत्रिका संबंधी लक्षण पाए गए जिसमें भ्रम और मस्तिष्क को क्षति या मस्तिष्क विकृति शामिल है। एमईआरएस-कोव और सार्स-कोव-1 के अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस कई मार्ग से तंत्रिका तंत्र में प्रवेश कर सकता है जिसमें संक्रमित स्नायु कोशिका का स्थानांतरण, नाक और मस्तिष्क को जोड़ने वाले घ्राण तंत्रिकाएं शामिल हैं जो सूंघने की चेतना पैदा करती हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि वायरस रक्त उत्तकों के भीतरी दीवारों पर फैलकर भी सीएनएस को संक्रमित कर सकते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क को संक्रमित करने की ”ट्रोजन हॉर्स प्रणाली एचआईवी में भी देखी गई है। अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 में सर्वाधिक आम तंत्रिका संबंधी शिकायतें सूंघने और स्वाद की चेतना का खत्म होना, सिरदर्द, दौरा पड़ना, बेहोश होना और मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होना है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लिखा है, ”तंत्रिका को होने वाले नुकसान के बारे में जल्द पता लग जाने से बेहतर चिकित्सा संभव होगी।

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