कर्मचारियों के लिए खुशखबरी…सरकारी बैंक भी होंगे नवरत्न और महारत्न

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – सरकारी कंपनियों की तर्ज पर सरकारी बैंकों को भी महारत्न, नवरत्न, मिनी रत्न का दर्जा मिलने जा रहा है। इससे सरकारी कंपनियों की तरह बैंकों को भी कामकाज की आजादी मिलेगी। मालूम हो कि कंपनियों को टर्नओवर, प्रॉफिट के आधार पर रत्न का दर्जा मिलता है। सूत्रों के मुताबिक, बैंक के कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिलेगा। बेहतर प्रदर्शन पर कर्मचारियों को बैंक के शेयर (ESOP) देने का प्रस्ताव भी है। निवेश समेत दूसरे बड़े कॉमर्शियल प्रस्तावों पर खुद फैसला ले सकेंगे। बैंकों को बड़े फैसले लेने के लिए सरकार से मंजूरी की जरूरत नहीं पडे़गी।

पीएसयू कंपनियों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है-

1- महारत्न : तीन साल तक 5000 करोड़ से अधिक का शुद्ध लाभ, तीन सालों की औसत नेट वर्थ 15000 करोड़ रुपये और तीन सालों का औसत टर्नओवर 25000 करोड़ रुपये, यह है महारत्न की जरूरत। महारत्न कंपनियां बाजार में इक्विटी के जरिए निवेश कर सकती है। इसके साथ ही वो अन्य कंपनियों के साथ वित्तीय साझेदारी के अलावा देश-विदेश में विलय या फिर अधिग्रहण कर सकती है। हालांकि इसके लिए एक प्रोजेक्ट में पांच हजार करोड़ रुपये का ही निवेश कर सकती हैं।

2- नवरत्न : नवरत्न- नवरत्न का स्टेटस पाने के लिए 100 में से 60 का स्कोर प्राप्त करना होता है, जिसे 6 पैमानों पर मापा जाता है। यह 6 पैमाने नेट प्रॉफिट, नेट वर्थ, कुल मैनपावर कॉस्ट, कुल उत्पादन लागत, सेवाओं की लागत, PBDIT (Profit Before Depreciation, Interest and Taxes) और बिजनेस में लगाई गई कैपिटल हैं। नवरत्न टाइटल 1997 में 9 पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज को भारत सरकार की ओर से दिया गया था, क्योंकि वह पब्लिक सेक्टर की ऐसी कंपनियां थीं, जिनकी परफॉर्मेंस अन्य कंपनियों से खास थी।

3- मिनीरत्न (कैटेगरी -1) : इस स्टेटस को पाने के लिए किसी भी पब्लिक सेक्टर कंपनी को लगातार तीन सालों तक मुनाफा दिखाना होता है, या फिर पिछले तीन सालों में से किसी एक साल 30 करोड़ रुपये या उससे अधिक का फायदा दिखाना होता है।
मिनीरत्न कैटेगरी-2 : इसके लिए किसी भी पब्लिक सेक्टर कंपनी को पिछले तीन सालों से लगातार मुनाफा दिखाना होता है और एक पॉजिटिव नेट वर्थ होनी चाहिए।

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