Coronavirus : लोगों को बचाते-बचाते खुद कोरोना से हार गया डॉक्टर, घरवाले कर रहे थे शादी की तैयारियां

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नई दिल्ली : ऑनलाइन टीम – कोरोना वायरस से लोगों की जान बचाते-बचाते एक डॉक्टर खुद कोरोना से हार गया। अंबेडकर अस्पताल में कोरोना से जंग हारने वाले रेजीडेंट्स डॉक्टर जोगिंदर चौधरी एक किसान पिता राजेंन्द्र चौधरी का बेटा था। पिता ने गांव का बड़ा मकान बेचकर उन्होंने जोगिंदर को डॉक्टर बनाया था। अब परिवार में मात्र ढाई बीघा खेती की जमीन बची है।

रविवार को उसकी सगाई होने वाली थी। लेकिन, सब कुछ धरा का धरा रह गया। दरअसल जोगिंदर चौधरी एक महीने से बीमार चल रहे थे। पिता ने बताया कि उसकी सगाई की तारीख पहले ही तय कर दी थी, बेटा बीमार पड़ा तो सोचा तब तक ठीक हो जाएगा, लेकिन अनहोनी को कौन टाल सकता है। वह कोरोना से दूसरों को बचाते हुए खुद कोरोना से हार गया। उसकी ड्यूटी अंबेडकर अस्पताल के कोरोना वार्ड में लगी थी। पिता ने बताया कि बेटे ने 6 महीने पहले ही अंबेडकर अस्पताल में जॉइन किया था। जब उसने बताया कि वह कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहा है, तो मन में हमेशा डर बना रहता था, लेकिन हमें फक्र भी था कि बेटा देश सेवा कर रहा है, लेकिन यह नहीं पता था कि वह इतनी जल्दी हमसे विदा ले लेगा। जून में उसकी शादी तय हुई थी।

अंबेडकर अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि डॉ. जोगिंदर पूरी से स्वस्थ थे। इन्हें कोई दूसरी बीमारी नहीं थी। सिर्फ बुखार लगा उसके बाद उनके गले में दिक्कत आने लगी। वे पूरी तरह से फिट थे। वे फुटबॉल खेलते थे जिम जाते थे। हमें भी उम्मीद था कि वे ठीक होकर वापस आ जाएंगे, लेकिन यह हमारे लिए भी बहुत दुख की बात है कि इतना फिट आदमी कोरोना से नहीं लड़ पाया।

डा. जोगिंदर को 24 जून से ही बुखार आना शुरू हो गया था। कोविड की जांच की गई तो 27 जून को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई उसके बाद उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था। उनकी दिन पर दिन उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही थी। उनका प्लाज्मा थेरेपी के जरिए भी इलाज किया गया लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। जब जोगिंदर की हालत काफी बिगड़ गई तो उन्हें जुलाई में गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करवाया। तब तक काफी देर हो चुकी थी और शनिवार देर रात उसकी मौत हो गई। जोगिंदर मध्यप्रदेश के नीमच जिले के रहने वाले थे।

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