देश : बाघों की म.प्र. में हुई सबसे ज्यादा मौत; 7 साल में कुल 141 बाघों की मौत

41 बने शिकारियों का शिकार

0

नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा; मध्यप्रदेश में वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा 14 बाघों का हुआ शिकार

पुलिसनामा ऑनलाईन – देशभर में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों का शिकार हो रहा है। यहां बीते 7 साल में 41 बाघों को शिकार कर मार दिया गया। बाघों की मौत के मामले में भी राज्य अव्वल है। यहां 2012 से अब तक 141 बाघों की मौत हुई, इनमें से सिर्फ 78 मौतें सामान्य हैं। यह खुलासा नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) द्वारा हाल ही में जारी टाइगर मोर्टिलिटी रिपोर्ट में हुआ है।

9 स्पॉट….जहां शिकारी सबसे ज्यादा सक्रिय :

एनटीसीए अफसरों के मुताबिक मध्यप्रदेश में भोपाल, होशंगाबाद, पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और छिंदवाडा़ के जंगल शिकारियों की पनाहगाह बन गए हैं। 6 बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट और एक्सीडेंट में हुई है। ऐसे हादसों में बाघ की मौत की घटनाओं को रोकने के लिए शासन ने अब तक कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया है। रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2012 से 2018 के बीच 657 बाघों की मौत हुई हैं, जिनमें 222 की वजह सिर्फ शिकार है।

एक्सपर्ट व्यू : बाघों की मौत की दो बड़ी वजह

पहली : आबादी वाले इलाके में जाने के कारण मर रहे हैं बाघ : मप्र में बाघों की मौत का कारण इलेक्ट्रोक्यूूशन और डिसपर्सल बढ़ना है। कान्हा नेशनल पार्क और पेंच टाइगर रिजर्व से लगे गांवों में किसान फसल को बचाने खेत की बाउंड्री पर करंट फैला देते हैं। बाघ इससे मारा जाता है।

दूसरी : पेंच, कान्हा, बांधवगढ़  में बाघ ज्यादा होने से आपसी लड़ाई : पेंच टाइगर रिजर्व, कान्हा नेशनल पार्क और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या ज्यादा है, जबकि जगह कम हो रही है। इस कारण बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट बढ़ रही हैं। राज्य सरकार को इसे रोकने का प्लान बनाना चाहिए।

-नितिन देसाई, वाइल्ड लाइफ क्राइम एक्सपर्ट, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया

जंगल बड़े क्षेत्रों में नहीं फैले हैं, इसलिए बाघ शिकारियों की पहुंच में हैं

कर्नाटक-उत्तराखंड में टाइगर कॉरिडोर और जंगल बड़े क्षेत्रों में फैले हैं। रहवासी क्षेत्र दूर हैं। मप्र में जंगल बड़े क्षेत्रों में नहीं फैले हैं। इस कारण शिकारियों की पहुंच में हैं। – यू प्रकाशम, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ, मप्र

You might also like
Leave a comment