आने वाले 26 नवंबर को सरकारी कर्मचारियों, शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों का देशव्यापी हड़ताल

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मुंबई, 19 नवंबर – कोरोना महामारी में जान की बाजी लगाकर योद्धा की तरह लड़ने वाले सरकारी और ठेका कर्मचारियों की प्रमुख मांगों की केंद्र और राज्य सरकार दवारा पूरी तरह से उपेक्षा की गई है। सरकारी कर्मचारी और शिक्षक संगठन दवारा की गई कई मांगें अभी तक पेंडिंग है। कोरोना के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार ने कर्मचारियों को दबाने और आर्थिक दिक्कतें जारी रखी है। यह आरोप बृहन्मुम्बई राज्य सरकारी कर्मचारी संगठन ने लगाया है।

राज्य सरकारी, गैर सरकारी, शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी समन्वय समिति दवारा कर्मचारी विरोधी पॉलिसी पर बार-बार आंदोलन किया गया। केंद्र और राज्य सरकार ने कर्मचारियों के खिलाफ पॉलिसी पर अमल कर रही है। इसकी वजह से हर जगह इसका असर हो रहा है। इसके लिए 2 अक्टूबर 10 राष्ट्रीय कामगार संगठन ने भव्य परिषद् का आयोजन किया था। इस परिषद् में सभी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक में कामगार और किसान विरोधी पॉलिसी पर रोक लगाने के लिए 26 नवंबर देश व्यापी हड़ताल की घोषणा की गई है.

क्या है मांग
* सभी पुरानी पेंशन योजना शुरू की जाए ।
* निजीकरण पर रोक लगाकर ठेका पद्त्ति रद्द करके अंशकालीन, ट्रांसफर और ठेका कर्मचारियों को नियमित किया जाए ।
* रिटारमेंट की उम्र 60 वर्ष कर समय से पहले रिटारमेंट देने की अन्याय पॉलिसी को रद्द किया जाए ।
* कामगार कर्मचारियों के अधिकार खत्म करने वाली संसोधित कामगार कानून को रद्द किया जाए ।
* राज्य सरकारी कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह सभी भत्ता मंजूर कर महंगाई भत्ता और सातवां वेतन आयोग का बकाया तुरंत दिया जाए ।
* सभी रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए ।
* चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, जिला परिषद् कर्मचारियों, शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों की पेंडिंग मुद्दों का तुरंत समाधान किया जाए ।
बक्षी समिति की रिपोर्ट के भाग दो को तत्काल घोषित कर वेतन की कमियों को दूर किया जाए।
* अन्यायपूर्ण कृषि कानून को रद्द किया जाए
* देश के बेरोजगारों को हर महीने 7500 रुपए का बेरोजगारी भत्ता घोषित किया जाए और हर गरीब व्यक्ति को हर महीने 10 किलो अनाज दिया जाए।
* हर जरूरतमंत व्यक्ति को मनरेगा के तहत वर्ष भर में कम से कम 200 दिन का रोजगार मिलना चाहिए।

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