साईबाबा को कैंसर पीड़ित मां से मिलने की नहीं मिली इजाजत, 4 दिन बाद चल बसीं

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नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम – माओवादियों से कथित संबंधों के चलते आजीवन कारावास की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने चार दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के सामने मां से मिलने के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। अब उनकी मां की मौत हो गई है। उनकी मां कैंसर से पीड़ित थीं। साईबाबा के वकील अकाश सोर्डे ने कहा कि डॉक्टर ने बताया था कि उनकी मां गोकराकोंडा सूर्यवती 48 घंटे से ज्यादा नहीं जिंदा रह सकती। उनकी मां की आखिरी इच्छा थी कि वो अपने बेटे को देख सके। ऐसे में नागपुर जेल के सुपरिटेंडेंट अनुपम कुमने को फोन लगाया गया, जिससे कि वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने बेटे को देख सके। लेकिन मां की तरफ से लगाए गए फोन का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। साथ ही उन्होंने मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया।

पत्नी का बयान : दिल्ली से जारी एक बयान में साईंबाबा की पत्नी वसंता ने कहा कि सूर्यवती का दोपहर में निधन हो गया। खराब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फ्लाइट में चढ़ने की इजाजत नहीं थी। मैं बेहद दु:खी हूं कि उनकी अंतिम इच्छा को पूरा नहीं कर सकी।’

यह है आरोप : साईबाबा को नागपुर केंद्रीय कारागार में रखा गया है, जहां अब तक 150 से अधिक कैदी और 40 जेलकर्मी संक्रमित पाए जा चुके हैं। साईबाबा 90% से अधिक शारीरिक विकलांगता के चलते व्हीलचेयर पर रहते हैं। गड़चिरौली जिले की सत्र अदालत ने माओवादियों से संबंध और देश के खिलाफ जंग छेड़ने के समान गतिविधियों में शामिल होने के मामले में मार्च 2017 में साईबाबा और चार अन्य को दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी। अदालत ने अवैध गतिविधि रोकथाम कानून के तहत साईबाबा और अन्य को दोषी ठहराया था।

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