विमान में विंडो के पास वाली सीट सबसे महफूज, वायरस का डर नहीं के बराबर

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नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – लॉकडाउन में ढील के साथ ही घरेलू उड़ानें शुरू हुईं बीच की सीट खाली रखने की बात को लेकर भारी बहसबाजी हुई। लोगों का डर खत्म करने के लिए CDC ने बताया कि फ्लाइट में जिस तरह से हवा सर्कुलेट होती है और जिस तरह से फिल्टर होती है, उसमें वायरस के पनपने का डर बहुत कम रहता है। फ्लाई हेल्दी रिसर्च टीम का मानना है कि खिड़की वाली सीट पर बैठे यात्री को संक्रमण का डर सबसे कम रहता है, वहीं आइल पर खतरा सबसे ज्यादा रहता है, क्योंकि वे लगातार वॉशरूम आते-जाते लोगों के संपर्क में आते हैं।ये भी कहा जा रहा है कि अगर यात्री विंडो सीट पर है और पूरी यात्रा के दौरान बैठा ही रहा तो उसके संक्रमित होने की आशंका नहीं के बराबर है अगर उसके बगल में कोई मरीज न बैठा हो।

गाइडलाइन के अनुसार : ऐसी बीमारियां जो छींक, खांसी से फैलने वाली वॉटर ड्रॉपलेट्स से फैलती हैं, उनके बारे में गाइडलाइन में बताया गया है कि बीमारी तभी फैलती है, जब फ्लाइट में सवार होने वाला कोई भी यात्री सर्दी-खांसी से पीड़ित हो। हवा में फैले वायरस मरीज के बगल की सीट पर बैठे यात्री को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि ऐसा तभी होता है जब एयरफ्राफ्ट का वेंटिलेशन ठीक तरीके से काम न कर रहा हो। अब ज्यादातर फ्लाइट्स में रिसर्कुलेटिंग सिस्टम काफी अच्छा होता है, जिसके कारण केबिन की हवा 50% तक रिसाइकिल हो जाती है। इससे वायरस के फैलने का डर काफी कम हो जाता है.

अध्ययन में सामने : एक स्टडी में बताया गया है कि हवाई जहाज में गलती से कोई मरीज बैठ जाए तो उससे संक्रमण कितनी दूर तक और कितने प्रतिशत तक फैल सकता है। इमोरी यूनिवर्सिटी और जॉर्जिया टेक के वैज्ञानिकों की ये स्टडी बताती है कि मरीज के बगल और आगे-पीछे की दो सीटों तक 80% तक खतरा हो सकता है। इससे दूर बैठे यात्रियों तक पहुंचते हुए खतरा 1% हो जाएगा। वहीं फ्लाइट क्रू, जो फ्लाइट में यात्रियों की मदद के लिए लगातार घूमते रहते हैं, उन्हें 5% से 20% तक खतरा होता है।

खतरा तब भी है : हालांकि इसके बाद भी हवाई यात्रा में कोरोना का खतरा बना हुआ है।ऐसा इसलिए है क्योंकि हम फ्लाइट में बैठने से पहले और उससे बाहर आने के दौरान या एयरपोर्ट पर ही बहुत से लोगों के संपर्क में आते हैं।सिक्योरिटी चेक या टर्मिनल में लोगों का संपर्क होता ही होता है।इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है।साथ ही पूरी तरह से भरी हुई फ्लाइट्स में अगर कोई भी संक्रमित है तो खतरा कहीं न कहीं रहता ही है।

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